बाबूबरही के जदयू के विधायिका ने बाबूबरही प्रखंड कार्यालय में सात करोड़ सरकारी रुपये के लगाया गवन का आरोप

जेटी न्यूज मधुबनी।

बाबूबरही प्रखंड कार्यालय में 7 करोड़ से अधिक रुपये के गबन का मामला प्रकाश में आया है. इस वित्तीय अनियमितता को खुद बाबूबरकी विधानसभा सीट से विधायक मीना कुमारी ने उजागर किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मधुबनी डीएम को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय कमेटी गठन कर गबन के मामले की जांच की मांग की है।विधायक मीना कुमारी ने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान उन्हें आमजनों से शिकायत मिली थी कि पूर्व बीडीओ ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन, छात्रवृत्ति एवं अन्य मदों के करोड़ों रुपये सरकारी कर्मियों के नाम पर अग्रिम निकासी कर ली थी, जबकि लाभुकों का कई सालों से पेंशन का भुगतान बकाया है.

कई महाविद्यालयों में दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि का भी उचित वितरण नहीं हो पाया है। मीना कुमारी ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना मद से 28 लाख, छात्रवृत्ति मद के लाखों रुपये और इंदिरा आवास योजना, चतुर्थ एवं पंचम राज्य वित्त योजना मद के करोड़ों रुपये प्रखंड विकास पदाधिकारी के सरकारी खाते में पड़े हुए हैं. दूसरी ओर आमजन सरकारी लाभ से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि राशि के अभाव में विकास कार्य प्रभावित है. विधायक मीना कुमारी का कहना है कि जब चार करोड़ से अधिक की पेंशन राशि विभिन्न सरकारी कर्मियों के नाम पर दी गई है. उनका अभी तक अग्रिम भुगतान हुआ है या नहीं, इसकी भी जानकारी सार्वजनिक की जाए. उन्होंने कहा कि कहीं निजी हित में तो सरकारी रुपये खर्च नहीं कर लिये गये। अब सवाल उठता है कि यदि पेंशन वितरण के नाम पर उठाया गया अग्रिम राशि लाभुकों के बीच वितरण हुआ और प्रखंड कार्यालय में अभिश्रव जमा किया गया तो अग्रिम राशि समायोजन क्यों नहीं किया गया ? बिहार राज्य वित्त नियमावली में कहीं भी प्रावधान नहीं है कि कर्मियों के नामपर अग्रिम दी गई राशि वर्षों तक समायोजन नहीं हो।

नियंत्री पदाधिकारी वर्षों तक कोई खोज खबर क्यों नही लिया कि किस कर्मी के जिम्मे कितने अग्रिम है। उक्त अग्रिम राशि की व्यय की गई की नहीं। या कर्मी निजी हित में उपयोग कर लिया। प्रथम दृष्टया में बिहार राज्य वित्त नियमावली अनुसार सरकारी राशि का दुरुपयोग एवं अस्थायी गबन का मामला प्रतित होता है।उन्होंने कहा कि अगर उच्चस्तरीय जांच दल गठन कर इसकी सघन जांच जाय तो सच्चाई का पर्दाफाश हो जायेगा। आखिर किस परिस्थिति में कर्मियों द्वारा लिया गया अग्रिम राशि का समायोजन नहीं किया गया।इसका मुख्य रुप से दोषी कौन है प्रखंड विकास पदाधिकारी या कर्मी।

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