मृत्यु भोज एक अभिशाप है। यह समाज के कुरीतियां में से एक है, समाज को गर्त में ले जा रहा है

मृत्यु भोज एक अभिशाप है। यह समाज के कुरीतियां में से एक है, समाज को गर्त में ले जा रहा है

जे टी न्यूज़ खगड़िया

मृत्यु भोज एक अभिशाप है और यह समाज के कुरीतियां में से एक है। वर्षों पहले “मृत्यु भोज” ने मानव समाज में अपना घर बना लिया और आज भी यह समाज को गर्त की ओर ले जा रहा है। उक्त बातें सोमवार को बछौता में स्मृतिशेष जगतारण देवी की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में वक्ताओं ने कही।

समारोह की अध्यक्षता विजय सिंह ने किया। मौके पर अतिथियों ने मृत्यु भोज के बदले गरीबों के बीच सूखा राशन का वितरण किया। कार्यक्रम में अतिथियों एवं आमजनों ने स्मृतिशेष जगतारण देवी के तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष जोशी ने जगतारण देवी के परिजन को इस पहलकदमी के लिए धन्यवाद दिया।

युवा नेता अभय कुमार गुड्डू ने कहा कि मृत्यु भोज के खिलाफ आंदोलन अब अपने मुकाम पर है। समाज का एक बड़ा हिस्सा अब इसके खिलाफ कार्य कर रहा है। मौके पर उपस्थित मो. रिजवान ने कहा कि हर नए और नेक कार्य का पहले विरोध होता है लेकिन बाद में लोग उसे स्वीकार करते हैं। मृत्युभोज के खिलाफ अभियान भी इसी दौर में है।

यह एक अच्छी शुरुआत है। मौके पर मौजूद स्थानीय मुखिया सुनील कुमार ने इस कार्य को अनुकरणीय बताया। उन्होंने इसे बदलाव का संकेत बताया। शिक्षक नेता मनीष कुमार सिंह ने कहा कि समाज में बदलाव के लिए काफी साहस दिखाना होता है और यह हिम्मत जगतारण देवी के परिजनों ने दिखाया है। गरीबों को उपलब्ध कराए गए राशन व कपड़े के लिए भी परिजनों को धन्यवाद दिया। सामजिक कार्यकर्ता नागेन्द्र सिंह त्यागी ने कहा कि आज के दौर में यह एक साहसिक कार्य है।

उन्होंने कहा कि मृत्यु भोज के खिलाफ बदलाव की हवा समाज में तेजी से फैल रही है। मौके पर नितीन कुमार चुन्नू, प्रो. आलमगीर, अर्जुन साह, मो. हाशिम, दुर्गा चौधरी, मनीष कुमार, धर्मशीला देवी आदि उपस्थित थे। मंच संचालन रवि कुमार ने किया। कार्यक्रम में 30 गरीब परिवारों के बीच सूखा राशन का वितरण किया गया।

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