गुलामी की जंजीरों मे जकड़े देश की आजादी का अलख जगाने वाले लाजपत राय की पुण्य तिथि किया गया याद

गुलामी की जंजीरों मे जकड़े देश की आजादी का अलख जगाने वाले लाजपत राय की पुण्य तिथि किया गया याद
जे.टी.न्यूज़ , समस्तीपुर

अमर स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत रायजी की “पुण्य -तिथि ” पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता -सह -विधायक अख्तरुल इस्लाम “शाहीन ” ने श्रद्धा -सुमन अर्पित करते उनके उल्लेखनीय योगदानों को नमन किया है l विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा है कि भारतभूमि हमेशा से ही वीरों की जननी रही है l भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे कई वीर हुए जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपनी जान की भी परवाह नहीं की l ऐसे ही एक वीर थे शेर-ए-पंजाब लाला लाजपत रायजी l लाला लाजपत रायजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी थे जिन्होंने देश सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी और अपने जीवन का एक-एक कतरा देश के नाम कर दिया l राजद प्रवक्ता ने कहा कि एक दौर था जब ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था l पूरी दुनिया में अंग्रेजों की तूती बोलती थी l सर्वशक्तिमान ब्रिटिश राज के खिलाफ 1857 में भारत में हुए बहुत बड़े सशस्त्र आंदोलन को बेहद निर्ममता के साथ कुचल दिया गया था l अंग्रेज भी यह मानते थे अब उन्हें भारत से कोई हिला भी नहीं सकता l साल 1928 में भारत में एक शख्स की ब्रिटिश पुलिस की लाठियों के मौत हुई और इस मौत ने ब्रिटिश साम्राज्य की चूलों को हिला दिया l राजद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा की ब्रिटिश राज के खिलाफ लालाजी की आवाज को पंजाब में पत्थर की लकीर माना जाता था l अवाम के मन में उनके प्रति इतना आदर और विश्वास था कि उन्हें पंजाब केसरी यानी पंजाब का शेर कहा जाता था l वर्ष 1928 में ब्रिटिश राज ने भारत में वैधानिक सुधार लाने के लिए साइमन कमीशन बनाया. इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था l

“मेरा मजहब हकपरस्ती है, मेरी मिल्लत कौमपरस्ती है, मेरी इबादत खलकपरस्ती है, मेरी अदालत मेरा जमीर है, मेरी जायदाद मेरी कलम है, मेरा मंदिर मेरा दिल है और मेरी उमंगें सदा जवान हैं।” जैसे उदगार व्यक्त कर गुलामी की जंजीरों मे जकड़े देश में आजादी की अलख जगाने वाले पंजाब केसरी ने भारत में साइमन कमीशन का जमकर विरोध किया। विधायक श्री शाहीन ने कहा की बॉम्बे में जब इस कमीशन ने भारत की धरती पर कदम रखा तो इसके विरोध में ‘साइमन गो बैक’ के नारे लगे. पंजाब में इसके विरोध का झंडा लाला लाजपत राय ने उठाया. जब यह कमीशन लाहौर पहुंचा तो लाला जी के नेतृत्व में इस काले झंडे दिखाए गए. बौखलाई ब्रिटिश पुलिस ने शांतिपूर्ण भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया. लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हुए और इन लाठियों की चोट के चलते ही 17 नंवंबर 1928 को उनका देहांत हो गया। श्री शाहीन ने कहा कि लाला लाजपत राय जीवनपर्यंत राष्ट्रीय हितों के लिए जूझते रहे। वे उच्च कोटि के राजनीतिक नेता ही नहीं थे, बल्कि ओजस्वी लेखक और प्रभावशाली वक्ता भी थे।

राजद के प्रदेश प्रवक्ता-सह-विधायक अख्तरुल इस्लाम “शाहीन ” ने कहा हैं कि अमर स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत रायजी का सम्पूर्ण जीवन प्रेरणादायक व अनुकरणीय है तथा स्मृति -शेष लाजपत रायजी एक महान स्वतंत्रता सेनानी , लोकप्रिय सामजसेवी , चर्चित अधिवक्ता व लेखक के रूप में सदैव याद किये जाते रहेँगे l मौके पर जिला राजद प्रवक्ता राकेश कुमार ठाकुर , राजद प्रखंड अध्यक्ष उमेश प्रसाद यादव , जिला राजद सचिव राकेश यादव , युवा राजद प्रदेश महासचिव पप्पू यादव , युवा राजद प्रदेश महासचिव मोo नुरूजोहा कमाल आफो, ट्रेड यूनियन नेता संतोष कुशवाहा , पैक्स अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार राय, अशोक साह, ज्योतिष महतों तथा मनोज पटेल आदि मौजूद थे l

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