नियोजित शिक्षक के वेतन व अन्य मद्द की राशि फर्जीवाड़ा मामले में बड़ी कार्रवाई

नियोजित शिक्षक के वेतन व अन्य मद्द की राशि फर्जीवाड़ा मामले में बड़ी कार्रवाई

जेटी न्यूज।

मधुबनी::- नियोजित माध्यमिक शिक्षक के वेतन व अन्य मदों की राशि अपने निजी खाता में ट्रांसफर करने वाले लिपिक चंद्र किशोर प्रसाद ने वित्तीय अनियमितता में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। डीपीओ स्थापना के द्वारा पूछे गये स्पष्टीकरण में अनियमितता को स्वीकार करते हुए डीपीओ स्थापना कार्यालय के खाता में 40 लाख रूपये जमा भी कराया है। इधर सरकारी राशि के अपने खाता में ट्रांसफर कराने वाले लिपिक चंद्र किशोर प्रसाद को निलंबित करने के लिए डीइओ मो.नसीम अहमद ने क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक दरभंगा को अपनी अनुशंसा भेज दिया है। साथ ही पूरे मामले में बड़ी अनियमितता को देखते हुए जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम का भी गठित कर दिया है। जो इस अनियमितता में अन्य कर्मियों और अधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच करेगा। इस टीम में डीपीओ योजना एवं लेखा सह समग्र शिक्षा अभियान चंदन प्रभाकर, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी राजनगर मो. इसरार अहमद, लेखा पदाधिकारी समग्र शिक्षा अभियान शंभू दास, लेखापाल पीएम पोषण योजना दीपक कुमार राय एवं डीपीओ स्थापना प्रधान सहायक आनंद कुमार मिश्र को शामिल किया गया है।
डीइओ ने जांच टीम को दो दिनों के अंदर जांच कर स्पष्ट मंतव्य के साथ जांच रिपोर्ट उपस्थापित करना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने इस अवैध निकासी में बैंक कर्मियों की भी संलिप्तता की भी जांच करने का आदेश दिया है। मालूम हो कि चंद्र किशोर प्रसाद जीएमएसएस प्लस टू उच्च विद्यालय के लिपिक हैं और डीपीओ स्थापना कार्यालय में लगभग डेढ़ सालों से प्रतिनियोजन पर थे। मामला सामने आने के बाद उनका प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया है। इसका खुलासा तब हुआ जब इन शिक्षकों के डीए (महंगाई भत्ता) भुगतान के दौरान बैंक द्वारा बिल रोक दिया गया। एक ही खाता संख्या कई बार बिल में रिपिट किये जाने और खाताधारी के नाम को बदल कर खाता एक ही दे दिया गया है। बैंक में खाता में जमा करने के दौरान नाम मिलान नहीं होने पर उसका सत्यापन किया गया तो यह मामला सामने आया कि एडवायस में नाम परिवर्त्तन कर एक ही खाता आधे दर्जन स्थान पर चढ़ा दिया गया है। इसके बाद प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आया कि प्रतिनियुक्त कर्मी चंद्र किशोर प्रसाद के द्वारा विभिन्न एडवायस में अपना अकाउंट दे दिया गया है। इसके बाद उनका प्रतिनियोजन तत्काल रद्द कर दिया गया और कार्रवाई शुरू की गयी। तभी से स्थापना कार्यालय में अफरातफरी मची है। वे प्रतिनियोजन पर थे और माध्यमिक शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रियाओं के प्रभार का काम कर रहे थे। डेढ़ सालों से वे वेतन,एरियर व अन्य मदों के भुगतान के एडवायस को तैयार कर रहे थे। उनके द्वारा इन समयावधि में तैयार सभी एडवायस की जांच की जा रही है। क्योंकि ऑनलाइन एडवायस एवं हार्डकॉपी में काफी अंतर है। सभी एडवायस की जांच की जा रही है। इसके बाद ही निकासी हुई पूरी राशि का आकलन सही रुप से हो सकेगा।
सभी दोषी पर दर्ज होगी प्राथमिकी
इस वित्तीय अनियमितता मामले में जिलाधिकारी अमित कुमार ने भी डीइओ को सख्त आदेश दिया है। जिसके आलोक में डीइओ मो.नसीम अहमद ने बताया कि वित्तीय अनियमितता से जुड़ा यह मामला काफी गंभीर प्रवृति का है और डीएम ने सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। राशि रिकवरी के साथ ही सभी संलिप्त लोगों पर प्राथमिकी दर्ज किया जायेगा। मिली जानकारी के अनुसार इतनी बड़ी गड़बड़ी केवल प्रतिनियोजित एक कर्मी के बूते संभव नहीं है। इसमें संलिप्त अन्य अधिकारी व कर्मी के संबंध में भी जांच की जा रही है। सभी पर प्राथमिकी दर्ज किया जायेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
डीइओ नसीम अहमद ने बताया कि संलिप्तत एक लिपिक के निलंबन की अनुशंसा करते हुए जांच टीम का गठन कर दिया गया है। शीघ्र ही राशि की रिकवरी सहित कानूनी कार्रवाई की जायेगी। अन्य कर्मी,अधिकारी व बैंक कर्मी की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।

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