विधान परिषद चुनाव में फिर नीतीश को चाहिए भाजपा की ‘अनुकंपा’ , 21 जुलाई को 7 एमएलसी होंगे रिटायर्ड – वीरेंद्र यादव

विधान परिषद चुनाव में फिर नीतीश को चाहिए भाजपा की ‘अनुकंपा’ , 21 जुलाई को 7 एमएलसी होंगे रिटायर्ड – वीरेंद्र यादव
मुकेश सहनी का भविष्‍य अधर में लेकिन राजद से परहेज नहीं

बिहार विधान परिषद के विधान सभा कोटे की 7 सीटों पर चुनाव जून-जुलाई महीने में होगा। इनका कार्यकाल 21 जुलाई को समाप्‍त हो रहा है। गठबंधनों के दायरे में बात करें तो एनडीए को 4 सीट और महागठबंधन को 3 सीट मिलने की संभावना है। विधायकों की संख्‍या यही बता रही है। विधान परिषद चुनाव में एक सीट के लिए 31 वोट चाहिए। इस हिसाब से राजद और भाजपा के 2-2 और जदयू के 1 उम्‍मीदवार की जीत कन्‍फर्म है। राजद को तीसरी सीट के लिए वामपंथी दलों का सपोर्ट पर्याप्‍त है। बिना कांग्रेस के सहयोग के भी राजद तीसरी सीट जीत लेगा। लेकिन संकट एनडीए में खड़ा होगा। भाजपा की 2 और जदयू की 1 मिलाकर तीन कन्‍फर्म सीट के अलावा चौथी सीट पर पेंच अटकेगा। चौथी सीट के लिए उम्‍मीदवार जदयू के होंगे या भाजपा के, इस पर माथापची होगी। कन्‍फर्म सीटों के बाद भाजपा के 12 और जदयू के पास 14 अतिरिक्त वोट बचते हैं। जीत के लिए वीआईपी और हम के 7 वोट भी हैं।

चौथी सीट के लिए जदयू अपनी दावेदारी करेगा। स्‍वाभाविक है कि रिटायर्ड होने वाले 7 सदस्‍यों में 5 जदयू के ही हैं। इस सीट के लिए नीतीश कुमार को भाजपा की अनुकंपा की फिर जरूरत पड़ेगी। कम विधायक होने के बावजूद भाजपा की अनुकंपा से नीतीश कुमार मुख्‍यमंत्री बने थे। अब फिर एक एमएलसी की संख्‍या के लिए उन्‍हें भाजपा की मदद चाहिए। यदि चौथी सीट जदयू ने भाजपा के लिए छोड़ दी तो इस पर वीआईपी के मुकेश सहनी दावा करेंगे। उनका दावा बनता भी है। वे सरकार के मंत्री भी हैं और मालदार भी हैं। आखिर भाजपा और जदयू दोनों को पार्टी फंड की जरूरत पड़ेगी। इस मामले में जदयू ज्‍यादा ‘नीडी’ है। संभव है नीतीश कुमार जदयू कोटे से मुकेश सहनी के लिए भाजपा से सपोर्ट मांग लें। मुकेश सहनी का राजनीतिक भविष्‍य अभी अधर में ही लटकता दिख रहा है। लेकिन उनकी योग्‍यता और उपयोगिता को भाजपा भी समझती है और जदयू भी समझता है। वैसे मुकेश सहनी को राजद से भी परहेज नहीं है।

जिन सात सदस्‍यों का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है, उनमें वीआईपी के मुकेश सहनी और भाजपा के अर्जुन सहनी शामिल हैं। गुलाम रसूल और सीपी सिन्‍हा ही 2016 में जदयू कोटे से निर्वाचित हुए थे। कमर आलम और रणविजय कुमार सिंह राजद के टिकट एमएलसी बने थे और बाद में ‘गमछा’ बदल लिया था। तनवीर अख्‍तर 2016 में कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। बाद में जदयू में शामिल हो गये थे। पिछले साल उनका निधन हो गया था। उपचुनाव में जदयू ने उनकी पत्‍नी रोजिना नाजिम को अपना उम्‍मीदवार बनाया था और वे निर्वाचित हुई थीं।

जे टी न्यूज़

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