*28 जनवरी को छात्रों के बिहार बंद में सहयोग देने की माले की अपील* *माले छात्र आंदोलन के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी- सुरेन्द्र* समस्तीपुर, 27 जनवरी ’22 रेल बचाने, नौकरी बचाने को लेकर 28 जनवरी को आइसा- इनौस के बिहार बंद को सक्रिय समर्थन देने की भाकपा माले ने घोषणा करते हुए लोकतांत्रिक अधिकार का शांतिपूर्ण तरीके से ईस्तेमाल करने की छात्र- युवा संगठनों से अपील की है. गुरूवार को इस आशय से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सह जाने माने आंदोलनकारी सुरेन्द्र प्रसाद सिंह छात्रों के बंद बुलाने के आह्वान को सही कदम बताते हुए कहा है कि देश की कल्याणकारी संस्था रेलवे को सरकार निजी हाथों में सौंपते जा रही है. एक समय 18 लाख से अधिक लोगों को नौकरी देकर मुनाफे में चलने वाली रेलवे को आज घाटा में दिखाकर कारपोरेट घराने को सौंपा जा रहा है. इससे नौकरी में जानबूझकर कटौती की जा रही है एवं प्रतियोगिता परीक्षा से सीट बचाकर सत्ताधारी नेताओं के एनजीओ एवं कंपनी के हवाले सीट किया जा रहा है. विज्ञापन के बाद परीक्षा को करीब तीन साल तक लटकाये रखना, एक परीक्षा के जगह दो परीक्षा लेना आदि सरकारी- कारपोरेटी साजिश है. छात्र- युवा अपने भविष्य- नौकरी ही नहीं रेलवे बचाने, देश बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. भाकपा माले छात्र आंदोलन के साथ मजबूती के साथ खड़ी है. माले नेता ने अन्य सभी छात्र- युवा संगठनों, व्यवसाईयों, वाहन मालिक एवं चालकों समेत जिले वासियों, राजनीतिक दलों से उक्त बंद को समर्थन देकर सफल बनाने की अपील की है.
*28 जनवरी को छात्रों के बिहार बंद में सहयोग देने की माले की अपील*
*माले छात्र आंदोलन के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी- सुरेन्द्र*
समस्तीपुर, 27 जनवरी ’22
रेल बचाने, नौकरी बचाने को लेकर 28 जनवरी को आइसा- इनौस के बिहार बंद को सक्रिय समर्थन देने की भाकपा माले ने घोषणा करते हुए लोकतांत्रिक अधिकार का शांतिपूर्ण तरीके से ईस्तेमाल करने की छात्र- युवा संगठनों से अपील की है.
गुरूवार को इस आशय से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सह जाने माने आंदोलनकारी सुरेन्द्र प्रसाद सिंह छात्रों के बंद बुलाने के आह्वान को सही कदम बताते हुए कहा है कि देश की कल्याणकारी संस्था रेलवे को सरकार निजी हाथों में सौंपते जा रही है. एक समय 18 लाख से अधिक लोगों को नौकरी देकर मुनाफे में चलने वाली रेलवे को आज घाटा में दिखाकर कारपोरेट घराने को सौंपा जा रहा है. इससे नौकरी में जानबूझकर कटौती की जा रही है एवं प्रतियोगिता परीक्षा से सीट बचाकर सत्ताधारी नेताओं के एनजीओ एवं कंपनी के हवाले सीट किया जा रहा है. विज्ञापन के बाद परीक्षा को करीब तीन साल तक लटकाये रखना, एक परीक्षा के जगह दो परीक्षा लेना आदि सरकारी- कारपोरेटी साजिश है.
छात्र- युवा अपने भविष्य- नौकरी ही नहीं रेलवे बचाने, देश बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. भाकपा माले छात्र आंदोलन के साथ मजबूती के साथ खड़ी है. माले नेता ने अन्य सभी छात्र- युवा संगठनों, व्यवसाईयों, वाहन मालिक एवं चालकों समेत जिले वासियों, राजनीतिक दलों से उक्त बंद को समर्थन देकर सफल बनाने की अपील की है.