महाकवि पण्डित लालदास स्त्री शिक्षा के पक्षधर थे जिसका प्रमाण उनकी रचना स्त्री धर्म शिक्षा है : डॉ नरेश झा

महाकवि पण्डित लालदास स्त्री शिक्षा के पक्षधर थे जिसका प्रमाण उनकी रचना स्त्री धर्म शिक्षा है : डॉ नरेश झl

प्रो अरुण कुमार/जेटी न्यूज

मधुबनी।महाकवि पण्डित लालदास की जन्मस्थली झंझारपुर प्रखंड के खड़ौआ गांव में स्मृति पर्व समारोह समिति द्वारा आयोजित 13 वें आयोजन का उदघाटन कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि द्वय सांसद रामप्रीत मंडल एवं पूर्व एमएलसी राम मंदिर न्यास बोर्ड के मेंबर कामेश्वर चौपाल ने दीप प्रज्वलित कर किया। अपने संबोधन में सांसद श्री मंडल ने कहा कि महाकवि पण्डित लालदास एक कालजयी पुरुष थे। उनकी रचना संसार को ज्ञान का सागर बताते हुए कहा कि ऐसे रचनाकार का अवतरण जिस धरा पर होता है वहाँ की मिट्टी धन्य हो जाती है। उन्होंने समारोह के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए इसके बेहतरीन के लिए विद्यालय परिसर में सुसज्जित कला मंच देने की घोषणा करते हुए कहा कि आज महाकवि के आँगन में उन्हें शीश नवाकर मैं खुद को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि पूर्व विधान पार्षद श्री चौपाल ने महाकवि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी रचना प्रासंगिकता को आज के समय में समाज के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में होने की बात कही।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ नरेश झा महाकवि को नमन करते हुए कहा कि मिथिला की धरती ज्ञान आधारित है। उन्होंने कहा कि मिथिला के ज्ञान की डंका विश्व भर में सुनाई देती है। महाकवि रचित महाकाव्य की रचना पर प्रकाश डालते हुए डॉ झा ने बताया कि सीता को केंद्र बनाकर रामायण की रचना करने वाले महाकवि ने पुष्कर काण्ड रचकर बड़े – बड़े रचनाकारों के सामने अपनी कुशाग्र बुद्धि, अध्ययन मनन व लेखन कला को सिद्ध कर दिया है। जो चिरकाल तक स्मरणीय रहेगा। स्वागत भाषण समिति के अध्यक्ष अनुप कश्यप एवं समिति के महासचिव भागीरथ दास सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना ‘स्वर हंस वाहन शुभकली संगीत देवी शारदे’ के गायन से हुई। जिसे चार साल के बाल गायक भवनीश लाल दास एवं आठ साल की बाल गायिका विदिशा दास ने अपने सुमधुर स्वर व तालबद्ध रूप में प्रस्तुत की। सरस्वती वंदना की प्रस्तुति पर पंडाल सुधि दर्शकों के ताली की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। ततपश्चात कंचन एवं नंदिनी के द्वारा स्वागत गीत एवं महाकवि रचित गोसाउनि गीत की प्रस्तुति दी गई। समिति द्वारा मंचासीन अतिथियों को फूल की माला, शॉल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में पधारे अतिथियों में डॉ दीपक कुमार सिंह, डॉ विनीत कुमार लाल दास, राजदेव मंडल, डॉ विनय विश्वबन्धु, उमेश नारायण कर्ण कल्प कवि, प्रो जयानंद मिश्र, मणिकांत दास, रुद्रशेखर लाल दास, डॉ अरविंद लाल आदि गणमान्य लोगों ने महाकवि पण्डित लालदास एवं डॉ हरिवंश लाल के तैल चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

 

कार्यक्रम के आरंभ में आचार्य ललित शास्त्री द्वारा रमेश्वर चरित मिथिला रामायण के पुष्कर काण्ड का सम्पूर्ण पाठ किया गया। इस मौके पर महाकवि पर केंद्रित भावांजलि स्मारिका का गणमान्य अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। साथ ही, महाकवि पण्डित लालदास के नाम पर दिया जानेवाला साहित्य गौरव सम्मान – 2022 से डॉ दीपक कुमार सिंह, गौरव सम्मान स्वर्णिका शालिनी, प्रतिभा सम्मान अमृता रानी एवं सचिन कुमार, रचना प्रस्तुति सम्मान, आभार सम्मान आदि से सम्मानित किया गया। दूसरे सत्र में नवरत्न काव्य गोष्ठी एवं तीसरे व अंतिम सत्र में मिथिला मैथिली के रंगमंच कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य प्रस्तुति दी गई।समारोह का संचालन साहित्यकार डॉ संजीव शमा ने किया । मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष अनुप कुमार कश्यप, महासचिव भागीरथ दास, डॉ अरविंद लाल, अजय कुमार दास, राजेन्द्र कुमार दास, योगानंद दास, अमित कुमार, विनय कुमार, कल्पना दास, पल्लव कौशिक, विपिन वर्मा, राजीव कुमार, प्रीति दास समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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