जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं: अनंत कुमार झा एसपीआर

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण-पौराणिक काल से ही गुरु ज्ञान के प्रसार के साथ-साथ समाज के विकास का बीड़ा उठाते रहे हैं। गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है- ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उक्त बातें मोतिहारी से आए ठाकुर जी के पवित्र पंजाधारी एवं सह प्रति ऋत्विक अनंत कुमार झा ने रामगढ़वा प्रखंड क्षेत्र के दुबे टोला गांव निवासी एवं ठाकुर जी के भक्त हीरालाल दा के यहां उनकी बेटी की शादी के अवसर पर आयोजित सत्संग को संबोधित करते हुए बुधवार की देर संध्या में कही। उन्होंने कहा कि “जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं”। श्री झा ने कहा कि हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में गुरु की महिमा का पूरा वर्णन कोई नहीं कर सकता। गुरु की महिमा तो भगवान् से भी कहीं अधिक है-
इसलिए कहा गया है कि-
गुरुब्रह्मा गुरुविर्ष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।
शास्त्रों में गुरु का महत्त्व बहुत ऊँचा है। गुरु की कृपा के बिना भगवान् की प्राप्ति असंभव है। गुरु के मन में सदैव ही यह विचार होता है कि उसका शिष्य सर्वश्रेष्ठ हो और उसके गुणों की सर्वसमाज में पूजा हो। जीवन में गुरू के महत्व का वर्णन कबीर दास जी ने अपने दोहों में पूरी आत्मीयता से करते हुए कहा है कि –
“गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव,
बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।”
श्री झा ने कहा कि आज के आधुनिक युग में भी गुरु की महत्ता में जरा भी कमी नहीं आयी है। एक बेहतर भविष्य के निर्माण हेतु आज भी गुरु का विशेष योगदान आवश्यक होता है। गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण दर्शित करने हेतु ‘गुरु पूर्णिमा’ का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गुरु का पूजन करने से गुरु की दीक्षा का पूरा फल उनके शिष्यों को मिलता है। वही सत्संग को संबोधित करते हुए ठाकुर जी के पवित्र पंजाधारी दिलीप कुमार पांडे दादा ने कहा कि कलियुग में इतना पाप अत्याचार बढ़ गया है कि मानुष अमानुष बन गया है। जिसे पुनः मानुष बनाने के लिए सद्गुरु, अवतारी पुरुष एवं युग पुरुषोत्तम परमप्रेममय श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी इस धरा धाम पर भूमिष्ट हुए हैं। उनकी ग्रहण कर उनकी नीति-विधि का पालन वाले मानव का कभी भी अमंगल नहीं होता है। सत्संग की शुरुआत एम के मिशन आवासीय विद्यालय के निदेशक व ठाकुर जी के भक्त ध्रुव नारायण कुशवाहा के शंखनाद एवं रक्सौल से आए नरेश व्यास तथा जूही राज व्यास द्वारा ठाकुर जी के उद्बोधनी भोजन से हुई। इस अवसर पर 19 श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण की। मौके पर ठाकुर जी के परम भक्त विभाष कुमार ओझा, रामजी पासवान,पासपत साह, बुन्नीलाल पटेल, मधुसूदन मिश्रा दादा, नाल वादक सुखल सहनी तथा मनषा मां सहित दर्जनों ठाकुर जी के भक्तों एवं श्रद्धालुओं उपस्थित थे।

रिपोर्ट : डी एन कुशवाहा

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