क्यों सिर्फ़ पत्नी, माँ और बहन चाहिए मगर बेटी किसी को नहीं चाहिए!

क्यों सिर्फ़ पत्नी, माँ और बहन चाहिए मगर बेटी किसी को नहीं चाहिए!
जे टी न्यूज़


ये प्रश्न हमेशा मेरे ज़ेहन में उठता है। में खुद भी एक लड़की हूँ। एक लड़की अगर इन किरदारों और ज़िम्मेदारियों के बेड़ियों में बँधी हैं, की, पुरुष को सिर्फ़ माँ चाहिए जो बस प्रेम करे, भले ही हम चाहे उस माँ को कितना भी क्यों न ज़लील करें, हमे बस बहन चाहिए ताकि बहन सा स्नेह पाए चाहे उस बहन को बहार में कोई कितना भी छेडे और डराये , हमे तो सिर्फ़ पत्नी चाहिए जो हम पर आंख मूंद कर भरोषा करे और पुरुष उस भरोसे को तोड़े। सब किरदार में एक नारी सबको चाहिए मगर एक बेटी क्यों नहीं!!!

आज भी ये दुनिया आज़ाद नहीं हुआ है, उस दक़ियानूसी सोच पर अटका हुआ है, जब एक बेटी जन्म होते ही, उसे मारके दफना दिया जाता है। बेटी पढ़ नहीं सकती वह सिर्फ़ घरके काम करेंगी और आखिर में व्याह कर दी जाएंगी, क्या एक लड़की का भविष्य सिर्फ़ इतने तक ही है। ऐसे तुच्छ बिचार रखने वाले समाज कभी माफ़ी के लायक नहीं है।

क्यों उन्हे ऊँचा उड़ने से रोक दिया जाता है!
क्यों उन्हे अपने जीबन के फैसला लेने का अधिकार नहीं है!
क्यों उन्हे हर बार पीछे से खिंचा जाता है, जब की वह अपनी मंज़िल तक पहुँच गए होते है!

सिर्फ़ गाँव में ही नहीं, सेहरों में भी ऐसा कर रहे हैं। बात दबा के रख देते हैं, ताकि भनक तक न लगे किसी को। बहुत दुखद बात है, की एक बेटी का सिर्फ़ तिरस्कार ही होता है। इतनी छोटी सोच से ये दुनिया जी रहा है। यहाँ कैसे लोगों से घिरा पड़ा है, ये समाज, जहाँ देवी को तो पूजा जाता है मगर वही जब घर में देवी का जन्म हो तो उसे बेरेहमी से मार दिया जाता है।

एक लड़की को इंसाफ क्यों नहीं मिलता है! ये कैसे समाज में जी रहे है हम, जहाँ बेटे होने पर दावत दिया जाता है और बेटी होने पर वेदर्द मौत। नर जाती ये भूल जाते हैं, की आखिर वह भी एक स्त्री से जन्मे है, बिना स्त्री के एक पुरुष भी नहीं जन्म हो पाता।

” बेटियां तो घर की लक्ष्मी होती हैं ,
आंगन में चेहकने वाली एक पक्षी होती हैं।
और वह सिर्फ़ नसीब वालों को ही वरदान में मिलती हैं,
एक लड़की देवी की मूरत है और त्याग की छवि है। “

सरकार को अब जागृत होना चाहिए और ऐसे अबोध और नवजान शिशु को मारने के अपराध में उन पर शक्त से शक्त कारवाही करनी चाहिए। आखिर जो ग़लत है वह है। जुर्म कोई भी करे, नियम सबके लिए एक होना चाहिए। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का सिर्फ़ नारा लगाने से ये समाज नहीं सुधरेगा, उसके लिए अपराध करने से पहले ही सरकार के नियम का खौफ रहना, बेहद ज़रूरी है।

~ जानभी चौधुरी
बालेश्वर, ओड़िशा।

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