किसान विरोधी तथा कारपोरेट परस्त मोदी सरकार को हराओ,देश बचाओ

किसान विरोधी तथा कारपोरेट परस्त मोदी सरकार को हराओ,देश बचाओ

जे टी न्यूज, त्रिचूर: अखिल भारतीय किसान सभा की राष्ट्रीय कौंसिल की तीन दिवसीय बैठक 15 से 17 दिसम्बर के अंतिम दिन महासचिव के प्रतिवेदन पर बोलते हुए बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष प्रभुराज नारायण राव ने बताया कि दिसम्बर 2022 त्रिचूर सम्मेलन के बाद बिहार में महत्वपूर्ण आंदोलन हुए हैं ।मोदी सरकार की वादा खिलाफी के विरुद्ध 26 जनवरी 23 को बिहार के अनेक जिलों में 10 हजार ट्रेक्टर का मार्च निकाला गया।5 अप्रैल दिल्ली रैली में बड़ी संख्या में बिहार से किसान भाग लिए। 6 अप्रैल ईंख उत्पादक संघ के जंतर मंतर पर हुए धरना में बिहार से 150 ईंख उत्पादक किसान भाग लिए। 14 जून का. अजीत सरकार शहादत दिवस के अवसर पर बिहार के अनेक जिलों में परचाधारियों को भूमि दिलाओ कन्वेंशन हुआ। 24 जून को पटना में संयुक्त किसान मोर्चा का राज्य स्तरीय कन्वेंशन हुआ।जिसे राष्ट्रीय महासचिव का. बीजू कृष्णन ने संबोधित किया।

 

9 अगस्त कारपोरेट लुटेरों भारत छोड़ो आंदोलन को बिहार के अधिकांश जिलों में जबरदस्त सफलता मिली। 14 अगस्त को बिहार के दर्जनों जिलों में रतजगा कार्यक्रम हुआ। 15 अगस्त को सभी कार्यालयों में राष्ट्रीय झण्डा फहराया गया तथा तिरंगा मार्च निकाला गया। 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुए किसानों की हत्या के मुख्य अभियुक्त केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त कर हत्या के मुकदमा में जेल भेजा जाय।

26 से 28 नवम्बर तक राजभवन महापड़ाव पटना में तीन दिवसीय महापड़ाव बड़ा ही सारगर्भित रहा । इस आंदोलन में 30 हजार से ज्यादा किसान ,मजदूर शामिल हुए।पटना महापड़ाव को किसान सभा के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव का. बादल सरोज , अवधेश कुमार, बिनोद कुमार ने संबोधित किया तथा राज्य अध्यक्ष का. राजेन्द्र प्रसाद

सिंह एवं उपाध्यक्ष का. प्रभुराज नारायण राव ने अध्यक्षता किया।

कल महासचिव के राजनीतिक प्रतिवेदन पर बिहार राज्य किसान सभा के अध्यक्ष का. राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपने विचारों को रखा था।

अंत में बैठक का समापन करते हुए ए आई के एस के राष्ट्रीय महासचिव का. बीजू कृष्णन ने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध दोनों देश का युद्ध नहीं है।बल्कि अमेरिका और नाटो द्वारा यूक्रेन की जमीन पर रूस से प्रॉक्सी वार है।

बिजली क्षेत्र में लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर लगाने का हम विरोध करते हैं। क्योंकि किसानों के लिए यह सही नहीं है।इसके खिलाफ संघर्ष खड़ा करना है।

जुट की खेती करने वाले किसानों का जुट उत्पादित राज्यों में स्थानीय स्तर पर संगठन काम कर रहा है। उसका राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठन बनाने की जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल को दी जाती है।

राजस्थान किसान सभा ने संघर्ष करके साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए बीमा का किसानों को दिलाया है।इसके लिए उन्हें चार महीने तक आन्दोलन चलाना पड़ा।किसानों के बीमा के लिए अन्य राज्यों में भी आन्दोलन चलाया जाना चाहिए।

किसान सभा को स्वतंत्र रुप से अपने कार्य को और मजबूती से बढ़ाना है। इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा, भूमि अधिकार आंदोलन तथा मजदूर वर्ग के साथ संयुक्त रुप से आंदोलन को और आगे बढाना है।हमें मोदी हटाओ देश बचाओ नारे के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में मजबूती के उतरना है।

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