देश को गौरवशाली स्थान पर पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी : दमन

देश को गौरवशाली स्थान पर पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी : दमन

विकसित भारत@ 2047″ पर विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में कार्यक्रम आयोजित

जे टी न्यूज़, दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगाके विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में “विकसित भारत @ 2047” से संबंधित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभागीय शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं छात्र- छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा ने छात्र- छात्राओं को विकसित भारत के निर्माण में सक्रियता पूर्वक भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्र छात्रों से आह्वान किया कि अगले 25 वर्षों के अमृतकाल में देश को गौरवशाली स्थान पर पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। देश में फैले भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आतंकवाद, नारी अपराध आदि जैसी समस्याओं को समाप्त कर ही हम देश को बुलंदियों के शिखर पर पहुंचा सकते हैं। इस हेतु छात्र छात्राओं को अपने कर्तव्यों का निर्वहन हेतु आह्वान किया। विभाग के वरीय शिक्षक प्रो अशोक कुमार मेहता ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। सामूहिक प्रयास से ही हम विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा हो सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं व शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत तभी विकसित राष्ट्रों की सूची में शामिल होगा जब हम आप जिस क्षेत्र में हैं उसी क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें और आसपास के लोगों को भी इसके लिये प्रेरित करें। डॉ सुनीता कुमारी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर युवाओं की जनसंख्या सबसे अधिक है अगर यहाँ के युवा अपनी सकरामक सोच रखें तो भारत को विकसित राष्ट्र बनने से कोई रोक नहीं सकता है । भारत आने बाले पचीस वर्षो में विकसित होता है तो यकीनन हमारे आने वाली पीढ़ियां इससे लाभान्वित होंगी।

अपने विचार प्रस्तुत करते हुए प्रथम सेमेस्टर की छात्रा गुंजन कुमारी ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना तभी सार्थक होगी ज़ब सभी लोग शिक्षित, आत्मनिर्भर और भय मुक्त होंगे। इस अवसर पर विभागीय कर्मी भाग्यनारायण झा, निरेन्द्र, शोधार्थी एवं छात्र छात्राओं में सत्यनारायण यादव, दीपेश कुमार यादव,दीपक, हरेराम, मनोज, नीतू, राजश्री, पवन,,रौशन, वंदना, शालिनी, नेहा, प्रियंका, शीला, अम्बालिका, सुस्मिता, टिंकल, निरमा, आशीष,जनार्दन, निक्कू उपस्थित थे।

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