शहीद सफदर हाशमी का 35 वा शहादत दिवस बेतिया में मनाया गया

शहीद सफदर हाशमी का 35 वा शहादत दिवस बेतिया में मनाया गया

जे टी न्यूज, बेतिया: जनवादी लेखक संघ पश्चिम चंपारण द्वारा आज बेतिया में शहीद सफदर हाशमी का 35 वा शहादत दिवस बेतिया में मनाया गया। इस अवसर पर सफदर हाशमी के बारे में बताते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के बिहार राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रभुराज नारायण राव ने बताया कि शफदर हाशमी न केवल कलाकार थे, बल्कि वह नाटककार ,साहित्यकार कवि तथा भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए थे ।उन्होंने अपने विचार को हर क्षेत्र में पहुंचाने का प्रयास किया। वे बच्चों को नई वैज्ञानिक शिक्षा देने , समाजिक कुरीतियों ,बुराइयों के विरुद्ध ,नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से संघर्ष खड़ा करने, देश की शासक वर्ग के द्वारा पूंजीवादी व्यवस्था के पक्ष में तथा किसानों, मजदूरों ,नौजवानों की आवाज को दवाने के विरुद्ध वह आवाज उठाते थे ।

उनका हृदय अत्यंत ही कवि हृदय था । वे अपनी कविता के माध्यम से भी जनता को जागने का ही काम किया। का. सफदर हाशमी अपने छात्र जीवन से ही एस एफ आई से जुड़ गए थे।तब से वह लगातार पढ़ाई , लड़ाई साथ-साथ के नारे को साकार करने में लग गए। सफदर हाशमी दिल्ली में दिल्ली जन नाट्य मंच जनम की स्थापना की और उसके माध्यम से अपने बातों को नुक्कड़ पर चलने वाले लोगों तक पहुंचाने का काम किया।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नगर पालिका चुनाव में सीटु के उम्मीदवार के पक्ष में हल्ला बोल नुक्कड़ नाटक झंडा गांव के पास चल रहा था। युवा कांग्रेस के नेता मुकेश शर्मा अपने गुंडो के साथ आकर नाटक खेल रहे सफदर हाशमी और उनके अन्य कलाकारों पर लाठी, रड और अन्य घातक हथियारों से हमला बोल दिया , जिसमें सीटू कार्यकर्त्ता राम बहादुर राय की हत्या हो गई तथा शफदर हाशमी गम्भीर रूप से घायल हो गए जो2 जनवरी 89 को उनका निधन हो गया। सफदर हाशमी की हत्या के विरोध में पूरा देश अक्रोशित हो चुका था । दुनिया के सभी देशों में एक नाटक करते हुए रंगकर्मी की हत्या के विरुद्ध कलाकार सड़कों पर उतर चुके थे और इस दौर में नुक्कड़ नाटक कर्मी तथा सफदर की पत्नी मल्यश्री हाशमी ने निर्णय लिया की 48 घंटे के अंदर 4 जनवरी 89 को सफदर के शहादत की जगह पर अधूरे हल्ला बोल नाटक को पूरा किया जाएगा और अपनी कलाकारों के साथ मल्यश्री हाशमी हल्ला बोल नाटक को पूरा किया।


कांग्रेस के राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे ।राजीव गांधी की पराजय और 2 दिसंबर 89 को विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्री बनने में सफदर हाशमी के शहादत भी एक मुख्य भूमिका अदा किया था। जब अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल दिल्ली में आयोजित हुआ तो अनेकों अवार्ड प्राप्त शबाना आजमी को जब उद्घाटन करने के लिए मंच पर गई तो साफ शब्दों में कहा की जिस देश में नुक्कड़ नाटक करते हुए एक रंग कार्मिक की हत्या शासक वर्ग के लोगों के द्वारा कर दी जाती है। वैसे जगह पर फिल्म फेस्टिवल मनाने का कोई औचित्य नहीं है।यह कहते हुए फिल्म फेस्टिवल का वहिष्कार कर मंच से उतर गई थी।
जनवादी लेखक संघ के जिला सचिव अनिल अनल ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
इस समारोह का संचालन सुरेश गुप्ता ने किया।
डा. जगमोहन कुमार ने कहा कि किताबें करती है बाते अपनों की ,दुनिया की । किताबें आप से कुछ कहना चाहती है। इस देश की ऐसी व्यवस्था है कि सफदर के हत्यारों को सजा दिलाने में 10 साल लग गए।
नंदलाल ठाकुर ने अपने भोजपूरी कविता में कहा कि जिन्गी ना जाने ला जिनिगिया के भाषा।


शंभू आलोक ने कहा कि सुख दुख देखा हमारा और सबका देखा व्यवहार ,अब दृष्टिगत नहीं होगा ,रह जायेगी यादगार।
चंद्रभान ने कहा कि में पीड़ा भाव सुनाता है। जो भोली भाली जनता पर अपना हुक्म सुनाता है। तू याचक बन जीना छोड़ , नव जीवन पर चलता चल।
राजीव कुमार ने कहा कि संसद बेचैन क्यूं है, रंगीन धुआं ही तो है।
डा. ज्ञानेश्वर गुंजन ने कहा कि वर्ष कोई भी आए ,वहीं हालात होगा। हम मजदूरों के हाथों में थोड़ा सा भात होगा।
जय किशोर जय ने कहा कि शहर से गांव चली , खेत खरिहान चली ,जानत नईखे ओकर अधिकार समझाई जी।
अरुण गोपाल ने कहा कि जिन्होंने कौम के लिए कुर्बानियां दी है। ऐसे ही सपूतों पे शहादत नाज करती है।
अनिल अनल ने कहा कि वो राहगीरों खबरदार , फूट पाथ वालों खबरदार।
कमरूजमा कमर ने कहा कि जिस पर न हो मजलूम पर रोने असर , खुद को समझता है वही सबसे बड़ा है।
डा. जफर इमाम जफर ने कहा कि अंदर अंदर दर्द का एहसास होगा।खुल कर बाहर आए तो खरदास होगा। हो गई इंसानियत अब तार तार इस दफा रावण तेरा बनवास होगा।
सुरेश गुप्ता ने कहा कि जब दिया बुझने फिर से जलाना चाहिए हर सितारा आसमां पे हो जरूरी तो नहीं, कुछ सितारा मेरे आस पास होना चाहिए।
डा. जाकिर हुसैन जाकिर ने कहा कि मैं इस सदी का एक अनोखा जवान हूं। मुल्क में फसादों में नक्श वो उभारें है।सिसकियां है इदो वो दीवाली पर।
डा. गोरख प्रसाद मस्ताना ने कहा कि सफदर हाशमी को नमन करता हूं जिन्होंने 40 हजार नाट्य प्रस्तुति किए।


स्वाभिमान मत मरने देना , हाथ पसारे कुछ मत लेना,अंतर्द्वंद अभाव में होता उस पल संबल मत खो देना।जीवन तो संघर्षों का संगीत है।
अबुल खैर नश्तर ने कहा कि बताओ क्या यहीं है जम्हूरियत कि मनासिर के तानाशाह की है खुसगुमानी।
डा. मुजिबुल हक ने कहा कि आज सफदर हाशमी के शहादत दिवस पर उनके उद्देश्यों को पूरा करना है। क्योंकि सच बोलने पर उनको बली दी गई।
आज के शहादत दिवस पर प्रो॰ सुमन मिश्रा ,सी आईं टी यू के अध्यक्ष विनोद नरूला, महासचिव शंकर कुमार राव, माकपा सोशल मीडिया के जिला संयोजक नीरज बरनवाल, माकपा बेतिया मझौलिया लोकल मंत्री सुशील श्रीवास्तव, किसान नेता अवधबिहारी प्रसाद, राजेश तिवारी, राजकुमार, राधेश्याम साथियों ने अपनी बातों को रखा।

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