मजदूरों की हुई मौत से लदनियां ने मातम

मजदूरों की हुई मौत से लदनियां ने मातम

जे टी न्यूज, मधुबनी:

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के संभाजी नगर की दस्ताना फैक्ट्री में आग लगने से हुई मौत में लदनियां प्रखंड की डलोखर पंचायत के डलोखर गांव के दो व मिर्जापुर गांव के एक मजदूर शामिल हैं। आग लगने की घटना शनिवार की देर रात घटी थी। हादसे की जानकारी परिजनों को रविवार की अल सुबह मिली थी। खबर मिलते ही गांव में कोहराम मच गया। मृतकों में लदनियां के डलोखर निवासी मो. मुश्ताक (62), मो. कौसर आजम (29) व मिर्जापुर के मो. इकबाल (25) शामिल हैं। परिजनों से मिलने पहुंच रहे लोगों का तांता लगा हुआ है। इन परिवारों के हृदय विदारक दारुण दृश्य के कारण गांव में मातम पसरा हुआ है। रोते-रोते परिजनों का हाल बुरा है। मुखिया प्रतिनिधि रामचन्द्र यादव, रामचंद्र ठाकुर, विष्णुदेव भंडारी, ध्यानी यादव आदि परिजनों को उनके घर बारबार पहुंचकर सांन्त्वना देते देखे जा रहे हैं। लोगों ने कहा कि इन परिवारों पर अचानक आई इस विपदा से परिजन अत्यंत ही सदमे में हैं।

फैक्ट्री में लगी आग में झुलस कर मरने वाले इन तीन मजदूरों के परिजनों को मृतक कौशर आजम के भाई मोहम्मद इरसाद ने घटना की सूचना दी थी। घटना की सूचना आसपास के गांवों में आग की तरह फैली। लोगों ने बिहार सरकार से मृतकों के आश्रितों के लिए भारी आर्थिक मदद किये जाने की मांग की है।

मो. मुश्ताक के आश्रितों में दो लड़कियां, पांच लड़के व पत्नी आबिदा खातून हैं। सबों की शादियां हो चुकीं हैं। सभी संतान बेरोजगार हैं। सबकी नजर मुश्ताक की कमाई पर लगी रहती थी। उनकी कमाई से ही सबों का भरण-पोषण होता था। उनकी मौत से आबिदा खातून के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा है। एक छोटी सी कमाई की रकम से इतने बड़े परिवार को चलाती आ रही आबिदा अब किसकी कमाई के सहारे घर चलाने में समर्थ हो पाएगी। सबसे बड़ी समस्या और सवाल है, जिसका फिलहाल किसी के पास कोई जवाब नहीं है। अब कौन लेगा सबकी सुधि। सुधि लेने वाला ही सिधार गया।

मो. कौसर के आश्रितों में एक लड़की, एक लड़का व पत्नी सम्मा परवीन शामिल हैं। बच्चे अविवाहित हैं। गरीबी के कारण अच्छी पढ़ाई-लिखाई नहीं हो सकी है। सभी घर पर खेतिहर मजदूर का काम करते हैं। घर पर ठीक से भरण-पोषण नहीं हो पाने के कारण कौसर बाहर जाकर काम करता था। उनकी असामयिक हुई मौत से पत्नी व बाल बच्चे काफी सदमे में हैं। रो- रो कर सबका हाल बुरा है। नव वर्ष जहां लोग पिकनिक मना रहे हैं, वहीं उनके घर चूल्हे नहीं जले हैं। चारों तरफ मातम पसरा हुआ है। आसपास के लोग ढाढस बंटाने में लगे हैं। अबाक गुमसुम बैठी सम्मा की समझ में कुछ नहीं आ रहा है।

इस हादसे में कालकवलित हुए मिर्जापुर गांव के युवक मो. इकबाल तीन भाई में सबसे छोटा था। ज्येष्ठ दोनों भाई का परिवार इससे अलग रहता है। इसकी शादी नहीं हुई थी। घर के लोगों ने इसबार इसकी शादी का मन बनाया था, जो स्वप्न साबित हुआ। माता समिदा खातून व पिता एहरार के भरण-पोषण व दवा- दारू का वही एक मात्र सहारा था, जो अचानक काल के गाल में समा गया। उक्त आश्रितों के बीच वीरानगी पसरी हुई है। इनके निधन से आसपास के लोग मर्माहत हैं। माता समिदा खातून की तबीयत चिंता से बिगड़ती चली जा रही है। सबकुछ सामान्य होने में न जाने कितना वक्त लगेगा। उसकी नजर बेवक्त सब गुजर गया।

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