शीघ्र लगेगी डॉ. रवि की आदमकद प्रतिमा : शंभु नारायण यादव 

शीघ्र लगेगी डॉ. रवि की आदमकद प्रतिमा : शंभु नारायण यादव 

जे टी न्यूज, मधेपुरा:

डाॅ. रवि एक सुप्रसिद्ध विद्वान, स्वाभिमानी शिक्षक, कुशल प्रशासक, लोकप्रिय राजनेता एवं सहृदय इंसान थे। उन्होंने कोसी-सीमांचल के शिक्षा, साहित्य एवं राजनीति में अविस्मरणीय योगदान दिया है। यह बात कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव ने कही।

वे मंगलवार को पूर्व सांसद (लोकसभा एवं राज्यसभा) एवं बीएनएमयू, मधेपुरा के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि के जन्मोत्सव समारोह का संचालन कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन कुलपति कार्यालय परिसर में डॉ. रवि विचार मंच के तत्वावधान में किया गया।

 

 

उन्होंने बताया कि उन्होंने कहा कि डाॅ. रवि मधेपुरा के विश्वकर्मा थे। मई 1981 में मधेपुरा को जिला घोषित कराना और 1992 में यहाँ विश्वविद्यालय की स्थापना उनकी अविस्मरणीय देन है।

उन्होंने बताया कि डॉ. रवि ने संस्थापक कुलपति के रूप में मात्र 6 माह के अंदर 122 छोटे-बड़े क्वार्टर एवं प्रशासनिक भवन सहित कोसी प्रोजेक्ट की 22 एकड़ का परिसर विश्वविद्यालय के नाम स्थानांतरित कराकर विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना को मजबूती प्रदान की। साथ ही विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के विद्वान शिक्षकों को विभिन्न पदाधिकारियों के रूप में प्रतिनियोजित कराया और 6 माह के अंदर परीक्षा लेकर एवं परिणाम घोषित कर एक रिकार्ड कायम किया।

उन्होंने बताया कि उनके विचारों एवं कार्यों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से डाॅ. रवि विचार मंच का गठन किया जाएगा। इसके माध्यम से इस आदर्श पुरूष की गुणगाथा, उनकी यश-कीर्ति एवं विचारों के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रयास किया जाएगा। इसमें सभी वर्ग के लोगों को शामिल कर डाॅ. रवि के विचारों, कार्यों एवं आदर्शों को आगे बढ़ाया जाएगा। उनकी रचनाओं का पुनर्प्रकाशन किया जाएगा।

 

उन्होंने कहा कि डॉ. रवि मंच के प्रयास से विश्वविद्यालय में डॉ. रवि की आदमकद प्रतिमा हेतु स्थल चिह्नित हो गया है। शीघ्र ही कार्य‌ को आगे बढ़ाया जाएगा।

मुख्य अतिथि डीएसडब्ल्यू प्रो. नवीन कुमार ने कहा कि डाॅ. रवि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर, दलितों के मसीहा रामविलास पासवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अत्यंत करीबी रहे। प्रदेश एवं देश की राजनीति में उनका एक विशिष्ट स्थान था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी और इसी पार्टी से पहली बार 1977 में मधेपुरा लोकसभा से चुनाव लड़ा था। इसमें वे कम वोटों से असफल हो गए थे। बाद में वे जनता दल के प्रत्याशी के रूप में रिकार्ड मतों से विजयी हुए। वे राजद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि कि डाॅ. रवि शैक्षणिक एवं राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठनों में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। वे बुद्धिजीवी विचार मंच के अध्यक्ष, राष्ट्र भाषा परिषद् के सदस्य, बिहार मैथिली अकादमी के सदस्य, सदस्य, राज्य भाषा समिति के सदस्य एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, मधेपुरा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की है। इनमें परिवाद, आपातकाल क्यों, लोग बोलते हैं, बातें तेरी कलम मेरी, बढ़ने दो देश को आदि प्रमुख हैं।

कर्मचारी संघ के संतोष कुमार एवं संजीव कुमार ने कहा कि पूरा विश्वविद्यालय परिवार और कोसी-सीमांचल की जनता डॉ. रवि की ऋणि है।

इस अवसर पर विषय प्रवेश बीएनमुस्टा के महासचिव प्रो. नरेश कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उपकुलसचिव (स्थापना) डाॅ. सुधांशु शेखर ने की।

इस अवसर पर सीसीडीसी डाॅ. इम्तियाज अंजूम, विकास पदाधिकारी डाॅ. ललन प्रसाद अद्री, वित्त पदाधिकारी अरूण कुमार गुप्ता, डाॅ. मो. अबुल फजल, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. विजेन्द्र नारायण यादव, आदि उपस्थित थे।

अंत में सबों ने दो मिनट का मौन रखकर डाॅ. रवि को अश्रुपुरित नेत्रों से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

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