नवरात्रि में छठे दिन देवी मां के छठे (षष्ठी‌) स्वरूप मां कात्यायनी की उपासना पूजा एवं पाठ की जाती है…।

देवी की उपासना से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है तथा रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं- रामानंद झा।

समस्तीपुर

नवरात्रि में छठे दिन देवी मां के छठे (षष्ठी‌) स्वरूप मां कात्यायनी की उपासना पूजा एवं पाठ की जानी है। आइए जानते हैं इनके उपासना पूजा एवं पाठ की विधि-

दिन : 30.03.2020 (सोमवार )

मां का स्वरूप :

नौ देवियों में कात्यायनी मां दुर्गा का छठा अवतार हैं। देवी का यह स्वरूप करुणामयी है। देवी पुराण के अनुसार कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां कात्यायनी का शरीर सोने जैसा सुनहरा और चमकदार है। मां 4 भुजाधारी और सिंह पर सवार हैं। उन्होंने एक हाथ में तलवार और दूसरे हस्त में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।

मां की पूजा विधि :

दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश व देवी कात्यायनी जी की पूजा कि जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है। देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए। श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए।

मां का भोग :

इस दिन प्रसाद में मधु यानी शहद का प्रयोग करना चाहिए।

बीज मंत्र :

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।

मिलने वाला आशीर्वाद :

इनकी उपासना भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।

 ब्यूरो चीफ, ठाकुर वरुण कुमार।

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