अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास — डॉ. रिंकी कुमारी
जे टी न्यूज, समस्तीपुर : 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इससे जुड़े कुछ बातें हमलोगों को जानना चाहिए । महिलाओं के उत्पीड़न और असमानता ने महिलाओं के बदलाव के लिए अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया। 1908 में 15000 महिलाओं ने कम घंटे, बेहतर वेतन और मतदान के अधिकार की मांग करते हुए न्यूयॉर्क शहर में मार्च किया। 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। क्लारा ज़ेटकिन नामक की एक महिला ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विचार रखा। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि हर साल हर देश में एक ही दिन – महिला दिवस – मनाया जाना चाहिए। 17 देशों की 100 से अधिक महिलाओं के सम्मेलन में, ज़ेटकिन के सुझाव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया और इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का परिणाम सामने आया। जिसके बाद ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में पहली बार साल 1911 में 19 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
1913-1914
प्रथम विश्व युद्ध की पूर्व संध्या पर शांति के लिए अभियान चलाते हुए, रूसी महिलाओं ने 23 फरवरी को अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, जो फरवरी का आखिरी रविवार।था। चर्चाओं के बाद, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को हर साल 8 मार्च को मनाने पर सहमति बनी।इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसी दिन को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1975 में आधिकारिक तौर पर इसे 8 मार्च को मनाये जाने की मान्यता दी। इसके बाद से प्रतिवर्ष इसे 8 मार्च को ही सेलिब्रेट किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का क्या है उद्देश्य?
इस दिन को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान को याद कर लोगों तक पहुंचाना तथा लैंगिक समानता और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज के बीच जागरूकता बढ़ाना है।
प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष के लिए थीम “Accelerate Action(तेजी से कार्य करना)”तय की गई है।