समस्तीपुर के जिलाधिकारी पदस्थापन से लेकर आजतक रहे विवादों के घेरे में।

जे टी न्यूज़, समस्तीपुर
समस्तीपुर के जिलाधिकारी की बात करे तो पदस्थापन से लेकर आजतक रहे है विवादों के घेरे में सूत्रों की मानें तो ताजा मामला तीन चिकित्सकों की है जिनसे मोटी रकम लेकर प्रतिनुक्ति किये जाने की चर्चा चारो ओर दबे जुबान चल रही है।
जिलाधिकारी के भ्रस्टाचार का पोल खोलने वाले डॉ. को अपमानित कर अपने कार्यालय से डांट-डपट कर यू भाग देते है जैसे दूध में से मक्खियों को भगाया जाता है।
आप को बताते चले कि जिलाधिकारी समस्तीपुर शशांक शुभंकर ने जब से समस्तीपुर में अपना योगदान दिया है तब से लेकर आजतक लगातार किसी ना किसी कारण से विवादों में घिरे में रहे है। विवाद इनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है समय -समय पर तरह तरह का इनपर आरोप लगते रहे हैं।
समस्तीपुर समारहालय में भ्रस्टाचार की गंगोत्री बह रही है उदाहरण के तौर पर कोरोनकाल में समस्तीपुर के सिविल सर्जन आर आर झा के मृत्यु के तुरंत बाद सबसे जूनियर डॉक्टर जो जिलाधिकारी महोदय के स्वजातीय रहे डॉ.सतीश प्रसाद सिन्हा को तमाम नियम कानून को ताक पर रखते हुए सिविल सर्जन के पद पर नियुक्ति दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । ऐसा सूत्रों का कहना है यदि इसकी भी जांच हो जाये तो सच्चाई सामने आ ही जाएगी। वही अभी हाल में ही एक मामला प्रकाश में आया है जहाँ समस्तीपुर जिले के खानपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तात्कालिक प्रभारी डॉ.मिथलेश ठाकुर और प्रधान लिपिक सह लेखापाल किशोर कुमार दास एवं समस्तीपुर के तात्कालिक सिविल सर्जन डॉ. सियाराम मिश्र एवं उनके कार्यालय के प्रधान लिपिक को अपने प्रभाव में लेकर डॉ. नितेश कुमार जो कि दंत चिकित्सक हैं का योगदान कराकर समस्तीपुर ट्रेजरी से फर्जी निकासी का मामला सामने आया है । इस मामले में खानपुर के प्रभारी डॉ. प्रमोद ने अक्टूबर 2020 में इस भ्रष्टाचार मामले को प्रकाश में लाया था । इस मामले का उजागर करना डॉ. प्रमोद को पड़ा भारी, एक साजिश के तहत इस मामले में संलग्न लोगो ने मिलकर डॉ. प्रमोद की जमकर पिटाई की और भद्दी भद्दी गालियां भी दिया, इतने से भी मन नहीं भरा तो एक फर्जी मामला भी थाने में दर्ज कराकर चार्जशीट जमा करा दिया। जब इस घटना की सूचना डॉ. प्रमोद कुमार ने सिवल सर्जन व जिलाधिकारी को लिखित दी तो
इस मामले में जिलाधिकारी ने अनुमंडल में पदस्थापित एसडीजीएम संजीव कुमार से जांच कराया । जांच रिपोर्ट में डॉ. प्रमोद कुमार निर्दोष पाए गए । डॉ. प्रमोद कुमार द्वारा लगाए गए तमाम आरोप सत्य पाए गए जिलाधिकारी ने रिपोर्ट को सिविल सर्जन के यहां कारवाई के लिए भेजा। परंतु कोई कारवाई तो नहीं हुई उल्टे भ्रस्टाचार का पोल खोलने व जांच में सही आने के बाद भी बदले की भावना से डॉ. प्रमोद कुमार को बिहार सरकार द्वारा पारित आदेश के खिलाफ जाकर खानपुर से दलसिंहसराय में प्रतिनुक्त कर दिया। आखिर ये कैसा इनाम है। क्या यही है सुशासन जहाँ ईमानदार को यातनाये झेलना पड़ता है।

यह जिले के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। डॉ. प्रमोद कुमार को विवाद का कारण बताकर दलसिंहसराय प्रतिनुक्त किया गया,जबकि अन्य तीन डॉक्टरों से मोटी रकम लेकर प्रतिनुक्ति किये जाने की चर्चा जोरो पर है। जब डॉ. प्रमोद कुमार अपने प्रतिनुक्ति के विरुद्ध जिलाधिकारी से मिलने पहुँचे तो जिलाधिकारी महोदय ने मिलना जरूरी नहीं समझा। उल्टे डांट- डपट और अपमानित कर उनको कार्यालय से भगा दिए जाने की चर्चा है। आखिर जिलाधिकारी ने यदि ऐसा कुछ किया है तो ये कहातक जायज है ?
सुत्रों की माने तो 17 अगस्त को फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में जिलाधिकारी को सूचित किया गया तो वरीय अधिकारी से जांच नही कराकर सिविल सर्जन कार्यालय में पत्र भेज दिया गया। जिसमे 7 दिन समय लगे पत्र को पहुचने में । जिलाधिकारी के रवैये से काफी लोग परेसान है। इनके गलत रवैये के कारण ही मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस नही करते है ,आखिर क्यों ?आखिर इनके नीतियों का फिर पत्रकारों को पता कैसे चलेगा ? इसको लेकर मिडिया के लोग भी जिलाधिकारी से खफा रहते हैं।
