“कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली कहां गई अब चुप्पी क्यों सरकार?”
“कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली कहां गई अब चुप्पी क्यों सरकार?”
जे टी न्यूज़, पटना : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ सदस्य श्री इन्तेखाब आलम ने बिहार सरकार से कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली को लेकर तेज और सीधा सवाल किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री सुनील कुमार द्वारा किए गए वादे अब तक खोखले साबित हो रहे हैं। “वादे के बाद बहाली कहां गई?” — इन्तेखाब का सवाल जब बिहार सरकार ने बजट और मंचों से यह घोषणा की थी कि राज्य के हजारों मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा शुरू की जाएगी, तो फिर अब तक कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली क्यों नहीं हुई? क्या यह केवल चुनावी जुमला था?” — इन्तेखाब आलम, कांग्रेस नेता उन्होंने कहा कि सरकार ने यह दावा किया था कि छठी से आठवीं कक्षा तक कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य की जाएगी, लेकिन आज भी अधिकांश विद्यालयों में न कंप्यूटर हैं, न शिक्षक। घोषणा बहुत, व्यवस्था शून्य
बिहार के 31,297 मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा लागू करने की बात की गई। शिक्षा विभाग ने साल की शुरुआत में बहाली की बात कही।
बजट में इसके लिए राशि का प्रावधान दिखाया गया। अब तक न आवेदन, न विज्ञापन, न प्रक्रिया शुरू। इन्तेखाब ने कहा कि यह सब “कागज़ी घोषणाएं” हैं और जब तक हर विद्यालय में प्रशिक्षित कंप्यूटर शिक्षक नहीं भेजे जाते, तब तक डिजिटल शिक्षा की बात “महज़ छलावा” है।
युवाओं को किया गया वादा निभाना होगा कांग्रेस नेता ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा: “अगर सरकार ने जल्द से जल्द कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू नहीं की, तो कांग्रेस पार्टी राज्यव्यापी जनआंदोलन खड़ा करेगी। युवाओं, बेरोज़गारों और डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को संगठित कर के लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ी जाएगी।”
सरकार को चाहिए कार्रवाई, प्रेस विज्ञप्ति नहीं इन्तेखाब आलम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार केवल प्रेस कांफ्रेंस और घोषणाओं से डिजिटल बिहार नहीं बना सकती। वास्तविक बदलाव नियुक्तियों से आता है, वादों से नहीं।
उन्होंने कहा कि अब बिहार की जनता सिर्फ़ भाषण नहीं, बहाली देखना चाहती है। इन्तेखाब आलम ने न केवल सरकार से उत्तर मांगा, बल्कि बिहार के युवाओं से संघर्ष के लिए एकजुट होने की अपील भी की है। अगर सरकार डिजिटल शिक्षा को लेकर गंभीर है, तो सबसे पहले प्रशिक्षित कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली अनिवार्य है। वरना ‘डिजिटल बिहार’ एक और सरकारी नारा बनकर रह जाएगा, हकीकत नहीं।

