कोरोना पीड़ित के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाने से शहरवासी दहसत में…।

एक महिने से जिला में एक भी कोरोना पीड़ित का केश नहीं...।

कार्यालय संवाददाता।

मधुबनी::- समाजवादी पार्टी, बिहार के प्रदेश सचिव राम सुदिष्ट यादव ने बताया है कि देश में कोरोना वायरस के रोक थाम के लिए पिछले 25 मार्च 2020 से लॉक डाउन चल रहा है। मधुबनी जिला और मुख्यालय लॉक डाउन का पालन करते हुए गत एक महिने से जिला में एक भी कोरोना पीड़ित का केश नही मिलने से अगले 3 म्ई के बाद इस क्षेत्र में ढ़ीला की उम्मीद थी।

लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से मधुबनी शहरवासी कोरोना पीड़ित के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाने से दहसत में है। इस घनी आबादी में कोरोना वायरस फैलने की आशंकाएं बढ़ गई है।

ज्ञातव्य है कि मधुबनी जिला प्रशासन के द्वारा नालंदा से कोरोना पीड़ित (मरीज) महिला पुलिस को लाकर मधुबनी मुख्यालय में रखा गया है। सर्वप्रथम जिस जिला से पुलिस बल को लाया गया है उसकी समुचित डाक्टरी जांच पड़ताल कर, स्वस्थ्य हालत में जिला में लाना चाहिए था। जो प्रशासन से कहीं न कहीं प्रशासनिक चूक हुई है।

दुसरा मधुबनी मुख्यालय के कोतवाली चौक और पुलिस लाइन एरिया में मैक्सवेल पब्लिक स्कूल (Maxwell school) (निकट होमियोपैथिक और आयुर्वेदिक राज्यकीय चिकित्सालय, कोतवाली चौक, मधुबनी) में कोरोना पीड़ित को रखा गया है। यह एरिया बहुत ही घनी आबादी वाला है।

इस घनी आबादी वाले एरिया में क्वारेंटाइन सेंटर बनाने से स्थानीय जनता में दहशत बना हुआ है। इस एरिया में भी सरकारी कोरोना वायरस फैलने की संभावना बनी रहेगी है। जब स्थानीय जनता डॉ सी के सिंह अवकाश प्राप्त कुशल चिकित्सक के नेतृत्व में अनुमंडल और जिला प्रशासन से डेलीगेशन स्थल पर मिलकर अपनी असहमति जताया। लेकिन अनुमंडल प्रशासन ने कहा हमें अधिकार है कहीं भी बना सकते हैं। यह सुन स्थानीय जनता स्तब्ध रह गये।

स्थानीय डेलीगेशन ने सरकार के कोरोना -19 के लिए जारी केन्द्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश के संबंध में ध्यान आकृष्ट किया कि घनी आबादीवाले एरिया में आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया जा सकता है। घनी आबादी से दूर बनाया जा सकता है जहां पीड़ित को स्वास्थ्य संबंधी सभी सुविधाएं पहूचाने कोई कठिनाई न हो।।

जहां कोरोना पीड़ित को क्वारेंटाइन किया गया है उस एरिया को Containment Zone घोषित कर इस एरिया को पूर्णतः लॉकडाउन कर दिया जाय। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का आवागमन बंद होना चाहिए। इस एरिया के लोगों को रोज़मर्रा के आवश्यक कामों के लिए प्रशासनिक विशेष अनुमति से ही घर से कुछ समय के लिए निकालने कि व्यवस्था की जाए।

लगता है केन्द्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय के गाइड लाइन अपने प्रशास को अंग्रेजी में भेजने के कारण सही ढ़ंग से परिभाषित नहीं किया जा रहा है।

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