*पूंजीवादी सरकार उद्योगपतियों पर मेहरबान और किसान आत्महत्या को मजबूर : संजय नायक*

जेटी न्यूज़।

समस्तीपुर::- युवा राजद जिला मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता संजय नायक ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि टेक्निकल राइट ऑफ पर जो व्यक्ति दिवालिया हो गया, या जिसने बहुत कोशिश के बाद भी लोन नहीं दे पाया उसका बट्टे खाते में जाना जायज है। लेकिन जो भगोड़ा है,

जो देश में फ्रॉड कर गया जिसपे आपराधिक केस चल रहे उसका लोन किस आधार पे बट्टे खाते में डाला गया ? सरकार पर तीखी आलोचना करते हुए कहा संजय नायक ने कहा कि लोन को किताबों से हटाने को जो टेक्निकल राइट ऑफ बता रहे वो जरा इसकी वसूली का टेक्निकल रूल ऑफ़ रिकवरी बताएँगे ?

भगोड़े और चहेतों के एन.पी.ए.को टेक्निकल राइट ऑफ कहने वाले किसान लोन माफ़ी या राइट ऑफ पे अलग विचार क्यों रखती है ? भारत में हर साल करीब 600 किसान लोन के बोझ से आत्महत्या कर लेते हैं । मार्च 2016 औरंगाबाद में एक किसान ने लोन की किस्त नहीं भरी तो पुलिस के सामने उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया।

कितने एनपीए वाले उद्योगपतियों को आज तक थर्ड डिग्री टार्चर मिलने की खबर सुनी ? उन्होंने मार्च 2017 में SBI चेयरमेन अरुंधति भट्टाचार्य के संदर्भ में उनकी बात दोहराते हुए कहा कि “लोन माफ़ी ऋण का डिसिप्लिन ख़राब करेगा, जिसे लोन का वाईवर दे दिया उसे आगे भी आशा रहेगी”।

उन्होंने ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा ये एकदम अंग्रेजों जैसे नियम हैँ कि क़ानून रहे भले जनता मर जाये। किसान कर्ज माफ़ी की मांग पे नीति आयोग के वाइस चेयरमेन दिसंबर 2018 में कह रहे थे कि “लोन माफ़ी कृषि सेक्टर के दुःख का निवारण नहीं है”।

देश की 2 तिहाई जनता को रोजगार देने वाले एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए कभी आवाज़ ना उठाने वाले आज आप टेक्नीकल राइट ऑफ को किसी तरह सही साबित करने के तर्क तलाश रहे हो, तो यकीन मानो आप मनुष्य रूप में वैशाखनंदन हो। क्योंकि अब आप उधोगपतियों का बचाव कर रहे हो। वोट नीरव मोदी को दिया था क्या जो उसकी बेटिंग कर रहे हो.. ?

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