संकट में बिहार प्रदेश,आखिर क्या करेंगे प्रदेश सरकार?

स्वार्थी राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के चंगुल में बिहार

स्थिति यही रही तो, बिहार महाराष्ट्र को पीछे छोड़ देगा।

 

क्या बिहार कोरोना संकट से उबर पाएगा ?

*आर.के.रॉय/संजीव मिश्रा*

*बिहार:*

कोरोना संकट के प्रारंभिक चरण में जब महाराष्ट्र,दिल्ली,राजस्थान, गुजरात,तमिलनाड जैसे प्रदेशों में कोरोना संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही थी,बिहार में उन प्रदेशों की तुलना में संक्रमण के आंकड़े काफी कम थे।परन्तु पिछले कुछ दिनों में ये आंकड़े काफी तेजी से बढ़ रहे हैं।हर दिन तेजी से बढ़ते आंकड़ों ने प्रदेश वासियों की चिंता बढ़ा दी है।यदि इसी रफ्तार से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती रही तो सम्भव है बिहार,महाराष्ट्र को पीछे छोड़ देगा।दरअसल ये एक कड़वी सच्चाई है कि देश के किसी भी अन्य प्रदेश की तुलना में बिहार में स्वास्थ्य सुविधा काफी कम है।प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों के पास पयाप्त सुरक्षा किट उपलब्ध नहीं है।प्रखंड स्तरीय अस्पतालों के कर्मियों के पास तो मास्क और ग्लब्स तक नहीं हैं।

क्वारन्टीन सेंटर की देखरेख करने वाले कर्मियों के पास भी सुरक्षा के कोई इंतेजाम नहीं हैं।नतीजा कहीं-कहीं से विरोध के स्वर भी उठने शुरू हो गए हैं।बाहर से आने वालों के लिए क्वारन्टीन सेंटर तो बना दी गई है परन्तु वहाँ की बदहाल व्यवस्था से तंग आकर लोग मौका मिलते ही भाग रहे हैं।ये भी सूचना मिल रही है कि प्रशासनिक लापरवाही की वजह से बाहर से आए कई लोग सीधे घर चले गए हैं,तो वहीं पैदल या किसी अन्य माध्यम से आने वाले अपने-अपने घर जा रहे हैं।सरकार के प्रतिनिधि 10 करोड़ से अधिक लोगों के स्क्रीनिंग करने की बात करते हैं।भगवान जाने इतना बड़ा झूठ आखिर वो बोल कैसे पाते हैं।संकट की इस घड़ी में बिहार सरकार द्वारा किया जा रहा कार्य निराश करता है।सरकार चाहती तो काफी बेहतर तरीके से इस संकट से निपट सकती थी।

दूसरी ओर चमकी बुखार एक बार फिर प्रदेश में पाँव पसार रहा है।हर दिन चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या एक-एक कर बढ़ती जा रही है।ये हाल तब है जब पिछले साल चमकी बुखार ने सैंकड़ों बच्चों को निगल लिया था।

आंधी,तूफान,बारिस और ओला वृष्टि लगातार हो रहे हैं और इसकी वजह से प्रदेश के किसान तबाह हो रहे हैं।फसल चौपट हो गए और उपज अच्छी नहीं हुई।अब लॉकडाउन की वजह से अनाज की उचित कीमत नहीं मिल रही है,तो कहीं अनाज के खरीददार नहीं मिल रहे हैं।15 मई को प्रदेश के किसान एक दिवसीय धरने पर बैठने जा रहे हैं।

जबकि अन्य प्रदेशों से आए लाखों मजदूरों और प्रदेश में ही काम करने वाले लाखों लोगों के बेरोजगार होने से बहुत बड़ी समस्या की ओर बिहार बढ़ता नजर आ रहा है।छोटे से बड़े व्यवसाय भी ठप होने के कगार पर हैं।सरकार की खुद की आय खत्म होने से प्रदेश के विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित होने तय हैं। स्वार्थी राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के चंगुल में फंसा बिहार क्या कोरोना संकट से उबर पाएगा ? बिहार संकट में है,अब देखना है क्या करते हैं हमारे सरकार।

Related Articles

Back to top button