स्वास्थ्य विभाग के निर्देश का अस्पताल प्रबंधन पर कोई असर नहीं

सदर अस्पताल की व्यापक मनमानी से यहां खेला जा रहा है रेफर का खेल और मरीज हो रहे हैं काफी परेशान

जेटीन्यूज़

गौतम सुमन गर्जना

*भागलपुर :* स्वास्थ्य विभाग के निर्देश को जिले के अस्पताल प्रबंधन किसी भी हाल में मानने को तैयार नहीं हैं। अस्पताल प्रबंधन इलाजरत मरीजों पर खुद हुकूमत चला रहे हैं। इनकी मनमानी से मरीजों का दम फूल रहा है। ऐसे में भागलपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर से सवाल उठने लगा है।

दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना का मामला बढ़ने के बाद जेएलएनएमसीएच को स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना अस्पताल घोषित कर दिया था। यहां पर आम मरीजों का इलाज और आउटडोर सेवा आज भी बंद है और यहां पर सिर्फ गंभीर मरीजों के लिए इमरजेंसी सेवा चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने आम मरीजों की दिक्कत को देखते हुए सदर अस्पताल में एक सौ बेड का इमरजेंसी वार्ड बनाया है। यहां पर मेडिकल कॉलेज से चिकित्सक,तकनीशियन एवं नर्स की प्रतिनियुक्ति भी कर दी गई है, लेकिन सदर अस्पताल में मामूली सी बीमारी से पीड़ित मरीजों को भी भर्ती नहीं किया जा रहा है।

हर दिन सदर अस्पताल से मामूली बीमारी से पीड़ित लोगों को जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी में रेफर किया जा रहा है। जबकि जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी में सिर्फ गंभीर मरीजों को भर्ती करने का आदेश मिला है। बावजूद इसके सदर अस्पताल में मरीजों का इलाज न कर यहां पर रेफर का खेल खेला जा रहा है। जिसकी बजह से सदर अस्पताल की व्यापक मनमानी बखौफ होकर कायम है और इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इलाज के लिए आखिर कहां जाएं मरीज

मरीजों के बीच उधेड़बुन की स्थिति बन गई है कि आखिर वह कहां इलाज कराएं। सदर अस्पताल के चिकित्सक भर्ती नहीं कर रहे हैं। सीधा जेएलएनएमसीएच जाने की सलाह दे रहे हैं। इधर, जेएलएनएमसीएच भी सदर अस्पताल से भेजे गंभीर मरीजों को छोड़कर भर्ती नहीं ले रहा है। ऐसे में मरीज लाचार होकर निजी नर्सिंग होम पहुंच रहे हैं।

इस बाबत बांका जिला अंतर्गत अमरपुर के रंजीत कुमार साह के पिता को सीने में दर्द और बुखार की शिकायत की थी। यह भागलपुर में ही रहते हैं। सदर अस्पताल इलाज कराने पहुंचे तो उन्हें भर्ती नहीं लिया और जेएलएनएमसीएच भेज दिया। लेकिन, मेडिकल अस्पताल के चिकित्सकों ने यहां भी भर्ती नहीं किया। घंटों प्रतिक्षा के बाद वे फिर सदर अस्पताल गए। वहां इलाज करने से साफ मना कर दिया। दो बार चक्कर लगाने के बाद वह निजी क्लीनिक में इलाज कराने चले गए। वहीं नाथनगर की एक महिला गर्भवती थी। प्रसव के लिए स्वास्थ्य केंद्र गई तो वहां इलाज नहीं हुआ। काफी गिड़गिड़ाने के बाद सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। स्वजन महिला को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां चिकित्सकों ने इलाज कराने से मना कर दिया। ऐसे में परिजन महिला को लेकर निजी क्लीनिक लेकर गए। जहां महिला का प्रसव हुआ।

इस बाबत सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार सिंह ने बताया कि
सदर अस्पताल में महिला चिकित्सकों की कमी है। इस कारण प्रसव केस ज्यादा आने पर रेफर किया जाता है। वहीं, अगर दूसरे मामूली मरीजों को रेफर किया जा रहा है, तो सरासर गलत है। उन्होंने इसकी जानकारी होने से मना किया और कहा कि इस मामले में पूछताछ कर इसकी जांच की जाएगी। वहीं जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ.आरसी मंडल ने कहा कि जेएलएनएमसीएच में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। उन्होंने बताया कि यहां पर गंभीर मरीजों के लिए इमरजेंसी शुरू की गई है, लेकिन आउटडोर सेवा बंद है। उन्होंने यहां पर सिर्फ इमरजेंसी मरीजों को भर्ती करने की बात कही ।

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