● अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति 28 सितंबर शहीद ए आजम भगत सिंह के जन्म दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाया।

जेटी न्यूज

बेतिया (पश्चिमी चम्पारण):- किसान विरोधी अध्यादेश को राष्ट्रपति स्वीकृत करके देश के किसानों के साथ अन्याय किया है । आज भगत सिंह के जन्म दिन को  देश के किसान गांव गांव में संकल्प दिवस के रुप में मना रहे हैं । आज संकल्प लेगें की इस काला विधेयक की पूरी वापसी तक आन्दोलन करेगें । जो देश की जनता को भोजन देता है । वह खुद निवाला का मुहताज नहीं रहेगा ।

कानून के अनुसार APMC मंडियों का कंट्रोल किसानों के पास होना चाहिए लेकिन वहां भी व्यापारियों ने गिरोह बना के किसानों को लूटना शुरू कर दिया। APMC एक्ट में जहां एक तरफ कई समस्याएं हैं। जिनमें सुधार की जरूरत है। दूसरी तरफ इसका एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके तहत सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि किसानों के माल की खरीद MSP पर हो। अब नए अध्यादेश के जरिये सरकार किसानों के माल की MSP पर खरीद की अपनी ज़िम्मेदारी व जवाबदेही से पूरी तरह से पल्ला झाड़ना चाहती है।

पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे। उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था।  अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज़, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है। हमारे देश में 85% लघु किसान हैं, वैसे भी किसान के पास वर्तमान में आय बहुत कम है छोटा किसान हो या बड़ा किसान हो वह अपनी उपज को ज्यादा दिन तक रोकने में सक्षम नहीं है, क्योंकि किसान को फसल कटाई के बाद जल्द पैसों की आवश्यकता होती है। किसान अपनी उपज को कितने भी दिन तक भंडारण करके  रख सकता था। जो कानूनी रोक थी वो सिर्फ बड़ी कंपनियों और व्यापारियों के भंडारण करने पर थी सिर्फ उसे हटाया गया है तो यह कैसा किसान हितैषी फैसला हुआ ?

इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ खेती करेंगी और किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस नए अध्यादेश के तहत किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन के रह जायेगा। इस अध्यादेश के जरिये केंद्र सरकार कृषि का पश्चिमी मॉडल हमारे किसानों पर थोपना चाहती है। हमारे यहां भूमि-जनसंख्या अनुपात में पश्चिमी देशों से अलग है और हमारे यहां खेती-किसानी जीवन यापन करने का साधन है वहीं पश्चिमी देशों में यह व्यापार कहलाता है ।


इस एक्ट में यह गारंटी नहीं है कि किसान का माल कंपनी पूरा खरीदेगी और एम एस पी भी देगी। फिर इसमें सवाल यही उठता है कि किसान मेहनत से 100 केला उगाएगा और कंपनी उसके 25 केले को खराब या छोटा बताकर रिजेक्ट कर देगी तो वह किसान कहाँ बेंचेगा..?

भंडारण और कालाबाजारी का कानूनी अधिकार व्यापारी और कंपनियों को मिला है।

कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से कंपनियों को खेती करने का अधिकार और बढ़ावा मिला है। किसान सिर्फ अपने खेत का मजदूर बनेगा।

किसान के लिए इन विधेयकों में कुछ भी नहीं है, तो हमारी प्रधानमंत्री तथा उनके भक्तों से कहना है कि आप किसान हितेषी बताकर प्रचार प्रसार ना करें और किसान को इतना नासमझ न समझें। इन अध्यादेश में ना किसान को फसल की MSP मिलने की ग्यारंटी है,और ना ही पूरी फसलों के बिकने की गारंटी हैं ।

संकल्प सभा पश्चिम चम्पारण के बैरिया प्रखण्ड के बरगछिया में किसान सभा के अंचल मंत्री एवं सरपंच सुनील यादव , संजीव कुमार राव , हरिशंकर यादव , अशोक सिंह , राजकुमार सिंह आदि शामिल हुए

 

नौतन प्रखण्ड के खड्डा पंचायत के मुसही गांव में संकल्प सभा में खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला मंत्री प्रभुनाथ गुप्ता , डी वाई एफ आई जिला मंत्री म. हनीफ ,जयलाल शर्मा , निजामुद्दीन , सुखी मियां , मंतुरी देवी , चीरई देवी आदि शामिल हुए ।

चुरीहरवा टोला के संकल्प सभा में अवध बिहारी प्रसाद , गोपालजी प्रसाद , अशर्फी प्रसाद , शफीक मियां , प्रेम प्रसाद आदि ने भाग लिया ।

चनपटिया प्रखण्ड के महना चौक पर संकल्प सभा में शम्भु आलोक , प्रीतम राम , हीरा ठाकुर आदि शामिल हुए ।

सिरिसिया जीनवलिया में संकल्प सभा संतोष राम के नेतृत्व में लिया गया ।

गौनाहा प्रखण्ड के सहोदरा स्थान पर शंकर दयाल गुप्ता , श्रीनाथ साह आदि ने संकल्प लिया ।

मझौलिया प्रखण्ड के जौकटिया गांव में सदरे आलम , चम्पा देवी , निर्मल बैठा , बाबू राम आदि ने संकल्प लिया ।।

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