श्रृष्टि मे जल का महत्व ‘ जल है तो जीवन है – खबरी लाल ।


नई दिल्ली – परिवर्तन प्रकृति का नियम है ‘ इस सत्य से हम व आप भली भाँति परिचित है। मौसम ने करवटे ली है विल्ली वाले ने कुछ दिन पूर्व ही हाड कपाने वाली सर्दी से छुटकारा पाई है ‘ बसंत के बहते ब्यार के मध्य मे भगवान भुवन भास्कर ने थोडी सी तीरक्षी नजर से अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। आने वाले दिन दिल्ली वालो के लिए चिल चिलाती गर्म हवा से तैयार रहे । ऐसे मे दिल्नी वाले के लिए जल आपूर्ति की भयंकर संकट समस्या होने की सम्भावना है । जिस की आशंका व चिन्ता हमारे पर्यावरण विद के द्वारा समय समय पर की जा रही है। विकाश के अन्धाधुन्द दौड मे
लगातार पेड की कटाई व अवैध निमार्ण के बजह से प्रकृति का संतुलन बिगड सा गया है।

इस बात की चर्चा केवल सरकारी फार्डले व सेमिनार तक ही सीमित हो कर रहा गया है। जो कि अति शोचनीय व दुष्कर परिणाम का सुचक है।
श्रृष्टि चक्र मे जल का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है , जल है तो जीवन है ।जल के बिना जीवन की परिकल्पना भी करना असम्भव है! जल की प्रत्येक बुँद अमृत के समान है। विगत दिनो जल संचय सपथ ग्रहण समारोह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतत्व मेअर्न्तराष्ट्रीय जल संग्रह दिवस के अवसर पर ” कैच दे रैन ” पुरे भारत वर्ष मे भव्य कार्यक्रम का आयोजित की गई । जिसका साक्षी होने का स्वर्णिम अवसर हमे भी मिला । जल का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है। हम सभी को जल के लिए प्रत्येक बुंद का सद्उपयोग व संरक्षित करना चाहिए ।

यह प्रत्येक नागरिक कर्तव्य है,लेकिन दुःख की बात है कि हम सभी जल का उपयोग तो अपने अधिकार से करते है ‘ लेकिन अपने कर्तव्य को भुल जाते है कि जल को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है ‘ अगर आप सभी जल को संरक्षित करते है तो उसका सद्उपयोग कर अपने व अपने भावी पीढी के उज्जवल भविष्य को सुरक्षित करते है। इसके लिए हमे व आप सभी जल संचय करने के लिए सपथ लेना होगा |
कैच दे रैन अथार्त वरसात की प्रत्येक बुँद को सुरक्षित व संरक्षित करे!हमारा र्दुभाग्य है कि हमारे यहाँ कही बाढ आती है,तो कही सुखाढ। परिणाम स्वरूप हमें प्रकृति का दोहरा मार झेलनी पड़ती है ।आजआवश्यकता है’जल चक्र के माध्यम से जल संग्रह कर हम सभी जल संचय के लिए सपथ ले।आप को यहाँ बता दे कि श्रृष्टि के रचियता ने जब पृथ्वी का निमार्ण करने से पहले दो तिहाई जल व एक चौथाई भु भाग बनाया है ।

सात महासागर मे एक पृथ्वी ।
मानव आज भले चाँद पर बसने की कल्पना कर रहा है। हो सकता है कि मानव एक दिन वहाँ भी पृथ्वी के अतिक्रमण का साम्राज्य स्थापित कर अपना विकाश का झण्डा फहरा ले ‘ चाहे वह विनाश के विध्वंस की ओर क्यो ना ले जाया
अंत मे खबरी लाल आप से विदा लेते है फिर मिलेगे
तीरक्षी नजर से तीखी खबर के साथ ।- अपनी बाते दोहराता है
ना ही काँहु से दोस्ती ‘ ना ही काँहु से बैर ।
खबरी लाल तो मांगे सबकी खैर॥
प्रस्तुति
विनोद तकिया वाला
स्वतंत्र पत्रकार

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