जघन्य अपराधः राजधानी में धड़ल्ले से फल-फूल रहा नकली व एक्सपायरी दवाओं का धंधा, प्रशासन मौन


पटना सिटीः  राजधानी पटना में नकली व एक्सपायरी दवा का खेल धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। यही नतीजा है कि कोरोना काल में भी निजी प्राइवेट अस्पताल व क्लीनिक बिचौलियों के साथ मिलकर नकली व एक्सपयारी दवाओं का उपयोग कर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा ही मामला पटना सिटी के खाजेकलां थाना क्षेत्र के गुजरी बाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम से आया है, जहाँ एक निजी नर्सिंग होम द्वारा भर्ती मरीजों के इलाज में एक्सपायरी दवा का उपयोग किया जा रहा है।

 

 

नवादा के बच्चियाडीह से इलाज कराने आये रामशंकर मेहता ने बताया कि हम खाँसी, बुखार होने पर गुड हेल्थ नर्सिंग होम में इलाज के लिए आये। यहाँ पर डॉक्टर ने हमें कोरोना जाँच करवाया, जिसके बाद मेरा जांच रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव आया। जिसके बाद डॉक्टर ने हमें सलाह दिया कि आप आठ दिनों के लिए भर्ती हो जाइए। जिसके बाद हमने डॉक्टर की सलाह को मानते हुए अपने स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए यहाँ पर भर्ती हुए और इलाज के नाम पर प्रतिदिन हमसे तीस हजार रुपया की माँग की गयी। हमने समर्थता जताते हुए आठ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती हो गए। इसके बाबजूद भी आज 17-18 दिन बीत गया है, परंतु मेरा स्वास्थ्य में कोई बदलाव नही आया है। मरीज रामशंकर ने बताया कि यहाँ पर तीन-चार कंपाउंडर मरीजों की इलाज में तैनात रहते हैं, परन्तु वे सभी कंपाउंडर अप्रशिक्षित हैं। उन्हें सुई दवाई तक ठीक से देने नही आता है। जिस वजह से आज मेरी स्थिति ऐसी हो गयी है कि हम खुद से हाथ मे थाली में रखा भोजन भी नही कर सकते हैं। मेरे परिवार के सदस्य चम्मच से खाना खिलाते हैं।

 

वहीं दूसरी ओर मरीज के इलाज कराने आये परिजन इकबाल ने बताया कि मेरी बहन फिरदौस गलती से कुछ खा ली थी। जिससे उसकी स्वास्थ्य खराब हो गयी थी। जिसके बाद आनन फानन में उसे इलाज के लिए गुड हेल्थ नर्सिंग होम में भर्ती कराए। जहाँ उसे इलाज में ट्रोपिन (TROPINE) नामक इंजेक्शन का उपयोग किया गया। जो की इंजेक्शन अप्रैल, 2021 में ही एक्सपायर हो चुका है। इसके बाबजूद भी नर्सिंग होम द्वारा मेरी बहन को 10 पीस एक्सपायरी इंजेक्शन का दिया जा चुका है। इससे मेरी बहन की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। मरीज फिरदौस ने बताई की इंजेक्शन पड़ने के बाद से हमें सांस लेने और आंख से धुंधला दिखाई देने लगा है।

 

वहीं मामले की जानकारी मिलते ही खाजेकलां थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। मामले में जब मीडिया कर्मियों ने उनसे घटना का कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि हमें शिकायत मिली थी कि नर्सिंग होम के द्वारा मरीज के इलाज के नाम पर में मनमानी तरीके से पैसों वसूलने जा रहा है। शिकायत मिलने के उपरांत हमने जांच के लिए यहाँ पर आया हूँ। मैंने यहाँ पर मरीज व उनके परिजन को लिखित रूप में आवेदन देने को कहा है परंतु उन्होंने आवदेन देने स्व इंकार किया है। शिकायत पत्र मिलने पर ही उचित कार्रवाई करूंगा। वही दूसरी ओर मरीज को इलाज के दौरान एक्सपायरी इंजेक्शन दिए जाने के मामले में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है।

 

कहा जाता है कि डॉक्टर को इस धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन प्राइवेट नर्सिंग होम में तो लूट खसोट और एक्सपायरी दवा दे कर मरीजो के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है वही प्राइवेट अस्पतालों में बिना डिग्री के ही कंपाउंडर बना दिया जाता है न जाने बिहार में ऐसे कितने प्राइवेट नर्सिंग होम होंगे जो मरीजो के जान से खिलवाड़ किया जा रहा होगा क्या सरकार इस पर कोई ध्यान नही देगी क्या इसी तरह प्रायवेट हॉस्पिटल की मनमानी चलती रकहेगी क्या मरीज के जान से यूही खिलवाड़ होता रहेगा आखिर किस पर आम लोग विश्वास करे सरकार कुछ नही कर पा रही तो आम लोग आखिर क्या करे किस से गुहार लगाई किसके पास जाए। आश्चर्य की बात है कि इस का व्यापार राजधानी जैसी जगह पर फल फूल रहा है तो पूरे सूबे में क्या हाल होगा ? अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक सोती रहती है ?
बाईट : – मरीज
बाईट : – डॉक्टर
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रिपोर्ट : -रंजीत डे

संपादिकृत: ठाकुर वरुण कुमार

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