भोजपुरी के प्रसिद्ध कलाकार भिखारी ठाकुर को 50वीं पुण्यतिथी पर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।

जे टी न्यूज़/बेतिया।

बेतिया में विजुअल कार्यक्रम के माध्यम से, स्वर्गीय भिखारी ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज ही के दिन आज से 50 वर्ष पूर्व 10 जुलाई 1971 को भोजपुरी के महान विश्व प्रसिद्ध कलाकार, भिखारी ठाकुर का निधन हुआ था। उनका सारा जीवन समाज को जागृत करने में रहा। भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 ई0 में बिहार के छपरा में हुआ था। बिहार नेपाल एवं उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में समाज में व्याप्त विभिन्न सामाजिक कुरीतियों को अपने कला मंच द्वारा स्वर्गीय भिखारी ठाकुर ने नाटक प्रस्तुति के माध्यम से समाज के समक्ष रखते हुए समाज में नई जागृति लाने का प्रयास किया था। 1917 में भिखारी ठाकुर ने अपनी महान लोकनाटक कलाकारों के सहयोग से जो समाज में जागृति लाने का प्रयास किया वह अपने आप में अतुल्य कदम था।

समाज में व्याप्त बाल विवाह, दहेज प्रथा, छुआछूत, भेदभाव जैसे विभिन्न कुरीतियों से समाज को जागृत करने के लिए भिखारी ठाकुर ने जो प्रयास किया था उसमें वह सफल रहे। 1930 से 1970 के बीच असम बंगाल नेपाल उत्तर प्रदेश एवं अनेक पड़ोसी राज्यों में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यक्रम की प्रस्तुति की और नई जागृति लाने का प्रयास किया था। उनके छोटे से प्रयास ने क्षेत्रों मे सामाजिक कुरीतियों को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी,

वक्ताओं ने कहा कि स्वर्गीय भिखारी ठाकुर ने अपने संगीत मंडली एवं अपने नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से भोजपुरी भाषा एवं सामाजिक जागरण के लिए जो प्रयास किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।इस अवसर पर वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि स्वर्गीय भिखारी ठाकुर के सम्मान में एक साहित्य एवं नाट्य स्मारक का निर्माण कराया जाए ताकि नई पीढ़ी राष्ट्र निर्माण में इन कलाकारों के योगदान को जान सके।

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