निर्बलों के महान मसीहा कर्पूरी ठाकुर लालू प्रसाद अबलों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर जी गुदड़ी के लाल के रूप में साधारण घर में पैदा लेकर इतने ऊंचे स्थान पर गये, जात-पात में जर्जर रूप से फंसे हुए बिहार में कर्पूरी ठाकुर जी ने इतना ऊंचा स्थान पाया, इसका मूल कारण यही था कि वे कर्मयोगी थे। कर्म की प्रधानता को उन्होंने माना था। उनकी अपनी कोई बिरादरी नहीं थी, उनका कोई ग्रुप नहीं था। हर लोग यह मानते थे कि कर्पूरी जी हमारे हैं और हम कर्पूरी जी के नजदीक हैं। मैंने बिरले ही किसी नेता की मृत्यु के बाद इस तरह की बातें पायीं कि हमारे महान नेता की मृत्यु हुई और हम तमाम लोग वहां एकत्रित थे। बिहार के गांव-गांव से गरीब लोग, कमजोर लोग, विकलांग लोग, जिनको सामाजिक, आर्थिक न्याय नहीं मिला, वे सारे के सारे लोग यही सवाल करते थे कि ठाकुर जी बीच ही में आप हमें छोड़कर चले गये, अब हमें कौन देखेगा? मेरा सवाल कौन सुनेगा? यह बात सही है कि गरीबों के महान मसीहा की मृत्यु के बाद आज इस राज्य में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में जो शून्यता आयी है, वह निकट भविष्य में नहीं भरेगा। मैं नहीं समझता हूं कि किसी भी पार्टी में, इस तरह का नेता मिल पायेगा। अध्यक्ष महोदय, मैंने यह देखा था कि गांव-गांव से आयी हुई हमारी माताएं, गरीब महिलाएं, गोद में बच्चा लिए हुए महान नेता के चरणों को नमस्कार कर यह व्रत ले रहे थे कि ठाकुर जी आपने दबे, कुचले लोगों को जो राह दिखायी है, जो आपने मार्गदर्शन दिया है, हम आपके मार्ग पर चलेंगे। स्वतंत्रता आंदोलन के गर्भ से पैदा लिये हुए जितने महान सोशलिस्ट नेता थे, आचार्य नरेन्द्र देव, लोहिया जी, यूसुफ मेहर अली जी, कर्पूरी ठाकुर जी उन सभी के समकक्षीय नेता थे। नासिक जेल में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी बनाने का एक संकल्प लिया गया था , फिर सीएसपी का बाजाप्ता गठन हुआ, जो बाद के दिनों में सोशलिस्ट पार्टी हो गयी। सन् 1952 ई. से लेकर कर्पूरी ठाकुर जी ने सोशलिस्ट पार्टी में, डी.एस.पी. में, लोकदल में रहकर इस देश और राज्य की जो सेवा की है, जो राह दिखायी है, यहां तमाम लोग उस राह पर चलने के लिए व्रत लेते हैं। यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। सबसे बड़े सफल नेता की ईमानदारी का प्रमाण है कि जहां उनका जन्म जिस झोपड़ी में हुआ, उपमुख्यमंत्री रहे, लोकसभा के सदस्य रहे, दो-दो बार मुख्यमंत्री रहे, झोपड़ी उसी तरह से छोड़कर चले गये हैं। ( बिहार विधान सभा में श्री लालू प्रसाद द्वारा व्यक्त श्रद्धांजलि) ,

निर्बलों के महान मसीहा कर्पूरी ठाकुर

लालू प्रसाद

अबलों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर जी गुदड़ी के लाल के रूप में साधारण घर में पैदा लेकर इतने ऊंचे स्थान पर गये, जात-पात में जर्जर रूप से फंसे हुए बिहार में कर्पूरी ठाकुर जी ने इतना ऊंचा स्थान पाया, इसका मूल कारण यही था कि वे कर्मयोगी थे। कर्म की प्रधानता को उन्होंने माना था। उनकी अपनी कोई बिरादरी नहीं थी, उनका कोई ग्रुप नहीं था। हर लोग यह मानते थे कि कर्पूरी जी हमारे हैं और हम कर्पूरी जी के नजदीक हैं। मैंने बिरले ही किसी नेता की मृत्यु के बाद इस तरह की बातें पायीं कि हमारे महान नेता की मृत्यु हुई और हम तमाम लोग वहां एकत्रित थे। बिहार के गांव-गांव से गरीब लोग, कमजोर लोग, विकलांग लोग, जिनको सामाजिक, आर्थिक न्याय नहीं मिला, वे सारे के सारे लोग यही सवाल करते थे कि ठाकुर जी बीच ही में आप हमें छोड़कर चले गये, अब हमें कौन देखेगा? मेरा सवाल कौन सुनेगा? यह बात सही है कि गरीबों के महान मसीहा की मृत्यु के बाद आज इस राज्य में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में जो शून्यता आयी है, वह निकट भविष्य में नहीं भरेगा। मैं नहीं समझता हूं कि किसी भी पार्टी में, इस तरह का नेता मिल पायेगा। अध्यक्ष महोदय, मैंने यह देखा था कि गांव-गांव से आयी हुई हमारी माताएं, गरीब महिलाएं, गोद में बच्चा लिए हुए महान नेता के चरणों को नमस्कार कर यह व्रत ले रहे थे कि ठाकुर जी आपने दबे, कुचले लोगों को जो राह दिखायी है, जो आपने मार्गदर्शन दिया है, हम आपके मार्ग पर चलेंगे। स्वतंत्रता आंदोलन के गर्भ से पैदा लिये हुए जितने महान सोशलिस्ट नेता थे, आचार्य नरेन्द्र देव, लोहिया जी, यूसुफ मेहर अली जी, कर्पूरी ठाकुर जी उन सभी के समकक्षीय नेता थे। नासिक जेल में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी बनाने का एक संकल्प लिया गया था , फिर सीएसपी का बाजाप्ता गठन हुआ, जो बाद के दिनों में सोशलिस्ट पार्टी हो गयी। सन् 1952 ई. से लेकर कर्पूरी ठाकुर जी ने सोशलिस्ट पार्टी में, डी.एस.पी. में, लोकदल में रहकर इस देश और राज्य की जो सेवा की है, जो राह दिखायी है, यहां तमाम लोग उस राह पर चलने के लिए व्रत लेते हैं। यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। सबसे बड़े सफल नेता की ईमानदारी का प्रमाण है कि जहां उनका जन्म जिस झोपड़ी में हुआ, उपमुख्यमंत्री रहे, लोकसभा के सदस्य रहे, दो-दो बार मुख्यमंत्री रहे, झोपड़ी उसी तरह से छोड़कर चले गये हैं।

( बिहार विधान सभा में श्री लालू प्रसाद द्वारा व्यक्त श्रद्धांजलि)

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