भितिहरवा आश्रम में आज भी बापू की आत्मा बसती है: डॉ झा

भितिहरवा आश्रम में आज भी बापू की आत्मा बसती है: डॉ झा
जे टी

दरभंगा:- पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अयोध्या नाथ झा के निर्देशन में प्राचीन भारतीय इतिहास ,पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर सत्र 2019-21 के छात्र छात्राओं के द्वारा विभागीय शैक्षणिक परिभ्रमण के अवसर पर पश्चिम चंपारण स्थित गांधी स्मारक संग्रहालय, भितिहरवा का भ्रमण किया गया।

गांधी स्मारक संग्रहालय, भितिहरवा के राजेश कुमार ने आगंतुकों को जानकारी देते हुए कहा कि “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में चंपारण और भितिहरवा आश्रम का विशेष महत्व है। यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पंडित राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर आए थे। यहां आकर सर्वप्रथम बापू ने खुद को असहाय मान चुके स्थानीय किसानों में आत्मविश्वास भर कर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होकर विरोध करने की हिम्मत प्रदान करते हुए गांव-गांव जाकर प्रोत्साहित किया था।

यह खबर पाकर सरकारी हलकों में घबराहट पैदा हो गई थी। स्थानीय किसानों और अन्य लोगों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 1917 को गांधी जी ने भितिहरवा आश्रम की स्थापना की जिसको एक बार अंग्रेजों के द्वारा जला दिया गया। उसके बाद फिर स्थानीय लोगों की सहायता से कस्तूरबा गांधी ने खुद ईंट ढोकर इस आश्रम को पूर्ण किया था। तिनकठिया नील की खेती, प्रताड़ना आदि से परेशान लोगों को “चंपारण एग्रेरियन एक्ट” के बनकर पास होने से राहत मिली थी और इस घटना से संपूर्ण हिंदुस्तान के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ गया था।”

 


भ्रमण के दौरान पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अयोध्या नाथ झा ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे, भितिहरवा आश्रम में आज भी बापू की आत्मा बसती है। सभी छात्र-छात्राएं महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी के द्वारा उपयोग में लाए गए सभी सामग्रियों के साथ-साथ उनसे संबंधित फोटो प्रदर्शनी को देख विशेष प्रभावित हुए। इस शैक्षणिक यात्रा में विभागीय शोधार्थी मुरारी कुमार झा के साथ रूपा, श्वेता, प्रभाकर, गोपाल, गोविंद नारायण, मो० कमरुल, विकास, कृष्णा, गोविंद, भगवान जी आदि शामिल हुए।

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