नालंदा खुला विश्वविद्यालय में कुलसचिव के रूप में डॉ. घनश्याम राय के लगभग साढ़े आठ माह के कार्यकाल की समीक्षा

जेटी न्यूज

एक नजर : वर्तमान सत्र 2021-2022 में रिकॉर्ड नामांकन। कुलसचिव ने एक भी दिन आकस्मिक अवकाश नहीं लिया। ग्यारह हजार किलोमीटर की यात्रा कर बत्तीस नये अध्ययन केंद्र स्थापित करने के बावजूद एक भी यात्रा भत्ता नहीं लिया।

विश्वविद्यालय परिसर में कार्यावधि में कार्यरत कर्मी अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त भत्ता लेते हैं। संबद्ध महाविद्यालयों में पहलीबार नये अध्ययन केंद्र स्थापित। इंटर संबद्ध महाविद्यालयों में अध्ययन केंद्र स्थापित करने हेतु सरकार से पत्राचार सह वार्ता जारी ।

एक सौ से ज्यादा नये कोर्स शुरू करने की तैयारी


पटना : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग के उपाचार्य सह जी.एम.आर.डी.कॉलेज, मोहनपुर, समस्तीपुर के पूर्व प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय ने 19 अगस्त, 2021 को बिहार के महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेशानुसार रजिस्ट्रार के पद पर अपना योगदान नालंदा खुला विश्वविद्यालय में दिया।

सर्वप्रथम उन्होंने नालंदा खुला विश्वविद्यालय को गुमनामी से निकालने का प्रयास किया। एन ओ यू में ऐसा कोई संवाद समूह नहीं था। डॉ राय ने 23 अगस्त 2021 को ‘ NOU संवाद ग्रुप’ की स्वयं स्थापना की।

पदाधिकारियों, समन्वयकों, प्रोफेसरों, कर्मचारियों, स्थानीय संवाददाताओं, नए अध्ययन केंद्रों के समन्वयकगण, बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारगण, अकादमिक, सामाजिक क्षेत्र के कार्यकर्ता आदि को जोड़ा गया।

एनओयू संवाद की स्थापना का उद्देश्य दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को आम लोगों के लिए सुलभ बनाना था। इस उद्देश्य में अपार सफलता प्राप्त हुई। डॉ राय के योगदान के बाद 41 नए अध्ययन केंद्र स्थापित किए गए ।

अबतक कुल 265 अध्ययन केंद्र स्थापित किए जा चुकें हैं। कुलपति के आदेश पर कुलसचिव ने स्वयं निरीक्षण कर बत्तीस अध्ययन केंद्रों का उद्घाटन किया। निरीक्षण एवं उद्घाटन के साथ साथ सभी अध्ययन केन्द्रों पर ” परिचर्चा ” का आयोजन किया गया।

नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय की भूमिका और प्रासंगिकता को ऐसे विचारकों के विचारों से जोड़ा गया जिन्होंने शिक्षा, समानता, मानवता, स्वतंत्रता की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य भी यही रहा है कि समाज के जो वर्ग नियमित रूप से अध्ययन करने में असमर्थ हैं, वे दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अध्ययन करें।

सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, गृहिणियों, कामकाजी महिलाओं, विकलांगों आदि को शिक्षित और कुशल बनाया जाना चाहिए। किशनगंज, अररिया, मधुबनी, नरकटियागंज, कैमूर, रोहतास, बक्सर, जमुई, भागलपुर आदि अध्ययन केंद्रों के माध्यम से नामांकन करने वाले छात्र अपनी सभी समस्याओं जैसे काउंसलिंग क्लास, फॉर्म भरने, परीक्षा, प्रमाण पत्र आदि को हल करने के लिए पटना मुख्यालय आते हैं।

कुलपति के आदेश के अनुसार बिहार के सभी जिलों में स्थित अध्ययन केंद्रों के माध्यम से बताया गया कि आगामी सत्र से जिला एवं प्रमंडल स्तर पर एनओयू का परीक्षा केंद्र स्थापित किया जाएगा।

बिहार इंटरमीडिएट परिषद की तरह क्षेत्रीय स्तर पर एनओयू का कार्यालय स्थापित कर समस्याओं का समाधान किया जाएगा। परामर्श कक्षाएं, केंद्रीकृत मूल्यांकन शुरू करने की पहल की गई ताकि सुदूर पूर्व के छात्रों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

काउंसलिंग कक्षाओं में शत-प्रतिशत विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। जबकि ‘परिणाम’ समय पर प्रकाशित किया जा रहा है, अनियमित सत्रों को जल्द से जल्द नियमित करने का काम तेज गति से चल रहा है।

विश्वविद्यालय में अनुसंधान गतिविधियों के संचालन के लिए एक सलाहकार और संचालन समिति का गठन किया गया है। महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि मनाने की परंपरा शुरू हुई।

महात्मा गांधी, महात्मा ज्योतिबा फुले, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर, लोक नायक जयप्रकाश नारायण, जननायक कर्पूरी ठाकुर आदि की जयंती मनाई गई। ई-पत्रों और पत्रिकाओं के प्रकाशन के लिए एक समिति का गठन किया गया है।

पहली बार संबद्ध कॉलेजों में अध्ययन केंद्र स्थापित किए गए। इंटर संबद्ध महाविद्यालयों में भी अध्ययन केंद्र स्थापित करने हेतु सरकार से पत्राचार और वार्ता की गई है।

संबद्ध महाविद्यालयों में नामांकन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। पिछले पांच सत्रों में, वर्तमान सत्र में सबसे अधिक नामांकन दर्ज किए गए। सभी विद्यार्थियों को अध्ययन सामग्री व अध्ययन केन्द्रों के मानदेय का भुगतान ससमय करना वर्तमान प्रशासन के समक्ष भारी चुनौती है।

छात्रों की सुविधा के लिए लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) की स्थापना की गई है ताकि सभी छात्र/छात्राएं ऑनलाइन सामग्री का उपयोग कर सकें। ऑनलाइन परीक्षा, ऑनलाइन प्रमाण पत्र आदि पर चर्चा चल रही है।

दूरस्थ शिक्षा का उद्देश्य यह है कि छात्र घर बैठे सभी सुविधाएं प्राप्त करके शिक्षित और कुशल बनें, तभी राज्य और केंद्र का अनुमानित सकल नामांकन अनुपात को हासिल किया जा सकता है।

एक व्यक्ति ने कितने दिनों तक पद पर काम किया यह महत्वपूर्ण नहीं होता है। उन्होंने क्या किया, वह महत्वपूर्ण है। कुलसचिव ने बिहार के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर व्याख्यान देकर नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय की पहचान स्थापित की।

संपूर्ण बिहार में एन ओ यू के प्रति आमलोगों में चेतना का जागरण हुआ। मीडिया ने व्यापक कवरेज दिया। एन ओ यू में संचालित एक सौ सात कोर्सों के संदर्भ में जानकारी प्राप्त हुई। नये स्थापित अध्ययन केन्द्रों में नामांकन तेज गति से बढ़ी।

पहले से स्थापित अध्ययन केन्द्रों पर भी नामांकन की रफ्तार बढ़ीं। कुलसचिव ने स्वयं विश्वविद्यालय से एक भी यात्रा भत्ता नहीं लिया है। नियमानुसार मुख्यालय से आठ किलोमीटर बाहर जाने पर मानदेय निर्धारित है।

जबकि विश्वविद्यालय मुख्यालय में कार्यरत कर्मी कार्यालय अवधि में अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त पारिश्रमिक लेते हैं।

पहले से संचालित वैसे कोर्स, जो किन्हीं कारणों से बंद थे, उसे पुनः शुरू करने की कार्रवाई तीव्र गति से की गई है। बीएड कोर्स के लिए एनसीटीई से पत्राचार और ऑनलाइन बैठक आयोजित की जा चुकी है।

एक सौ से अधिक ‘कौशल विकास’ कोर्स,डिप्लोमा कोर्स, मैथिली, मगही, भोजपुरी, प्राकृत, अंग्रेजी विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने की सैद्धांतिक सहमति कुलपति के द्वारा प्राप्त हो चुकी है।

वर्तमान सत्र से ‘सीबीसीएस’ लागू करने पर विचार चल रहा है। कोविड-19 के कारण विभिन्न क्षेत्रों में तीन सालों से मानदेय का भुगतान बकाया था,जिससे भुगतान किया गया। सीएड-बीएड 2019 में नामांकित प्रति छात्र का तीन हजार रूपये तमाम बीएड कॉलेजों का बकाया था।

भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। अखबारों का बकाया भुगतान कर दिया गया है। कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के साथ पचास प्रतिशत बकाये का भुगतान किया गया। वर्तमान कुलसचिव डॉ राय के कम समय के कार्यकाल में नालंदा खुला विश्वविद्यालय बिहार के जन जन में स्थान ग्रहण किया है। यह उनके व्यक्तिगत समझदारी और मेहनत का नतीजा है।

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