आपातकाल विरोधी दिवस मनाया गया

आपातकाल विरोधी दिवस मनाया गया


जे टी न्यूज़

बेतिया: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रभुराज नारायण राव ने बताया कि आज ही के दिन 25 जून 1975 के मध्य रात्रि में तत्कालीन देश के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निर्देश पर देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल लागू करने की घोषणा की । वह समस्त देश के लिए काला दिन था । जो देश की आजादी के बाद पहली बार देश के लोगों के बोलने का अधिकार छीन लिया गया । आजादी के अधिकार छीन लिए गए । सभी तरह के जनतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए और भारत में आपातकाल लगने से कई चुनाव स्थगित कर दिए गए । नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया और इतना ही नहीं कांग्रेस और श्रीमती इंदिरा गांधी के सभी तरह के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर जेल में डाल दिया गया । आजादी के बाद वह काला दिन था । जिसमें मा का पा के लोकसभा के नेता कॉमरेड ए के गोपालन सहित देश के सभी विरोधियों को कैद कर लिया गया ।

 


26 जून 1925 से 21 मार्च 1977 तक देश में आपातकाल लागू था । इस बीच बड़े पैमाने पर देश के नौजवानों का संजय गांधी के आदेश पर नसबंदी किया गया । नाना प्रकार के दमनात्मक कार्रवाई की गई और संजय गांधी का 5 सूत्री कार्यक्रम इंदिरा गांधी की 20 सूत्री कार्यक्रम से जोड़ दिया गया । 1977 में आपातकाल हटाने के बाद लोकसभा के चुनाव हुए तो उत्तर भारत में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिला । स्वयं श्रीमती इंदिरा गांधी समाजवादी नेता राज नारायण से बुरी तरह हार गई और पहली बार देश में कांग्रेस विरोधी जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ ।


इस छात्र आंदोलन की शुरुआत 16 मार्च 1974 को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया मुख्यालय में एसएफआई के नेतृत्व में छात्रों का विशाल जुलूस निकला था । जो महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार तथा शिक्षा में मूलभूत परिवर्तन की मांग करते हुए समाहर्ता के समक्ष प्रदर्शन करने पहुंचा । जहां तत्कालीन एसपी आर बी पासवान ने स्वयं अपने रिवाल्वर चला कर एक नौजवान की हत्या कर दी और गोली चलाने का आदेश दिया । जिसमें 44 राउंड गोलियां चली और सात छात्रों को शहादत का जाम पीने को मजबूर किया गया । यह आंदोलन सिर्फ बेतिया तक सीमित नहीं रहा । बल्कि 18 मार्च 1974 को पटने में छात्रों का जुलूस निकला । उस पर भी गोली चलाई गई और यह छात्र आंदोलन जन आंदोलन का रूप ले लिया ।

इस आंदोलन में सबसे पहली गिरफ्तारी पश्चिम चंपारण के माकपा के जिला मंत्री तथा राज्य कमेटी सदस्य कामरेड एस एन मित्र की गिरफ्तारी 16 मार्च को रात्रि 9:00 बजे बेतिया स्थिति उनके घर से कर ली गई । उन्होंने कहा कि आज देश की मोदी सरकार ठीक उसी तरीके से अपनी तानाशाही निजाम चला रही है । लोगों के सारे जनतांत्रिक अधिकारों को छीना जा रहा है । बोलने की आजादी समाप्त की जा रही है । देश की सारी संपत्ति को बेचा जा रहा है । मनमाने तरीके से देश के शीर्ष पदों पर संघ के लोगों को बैठाया जा रहा है और जो परिलक्षित कर रहा है कि देश में आज अघोषित आपातकाल लागू है । हम एक बार फिर आज के दिन देश की संविधान , जनतांत्रिक अधिकार , मौलिक अधिकारों , धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए आज के दिन यह शपथ लेने की जरूरत है कि इंदिरा गांधी रूपी तानाशाही सरकार नरेंद्र मोदी को गद्दी से उतारा जाए । जो जनविरोधी , संविधान विरोधी , लोकतंत्र विरोधी , नौजवान विरोधी , गरीब विरोधी , दलित विरोधी तथा अल्पसंख्यक विरोधी सरकार है ।

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