*24 अगस्त 1942 को बेतिया में 8 जांबाज शहीद हुए थे*

*24 अगस्त 1942 को बेतिया में 8 जांबाज शहीद हुए थे*
प्रभुराज नारायण राव

महात्मा गांधी द्वारा 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देने के बाद देश के कोने कोने में लोग सड़कों पर उतरने लगे। अंग्रेजों भारत छोड़ो , गोरी अंग्रेज भारत छोड़ो , अंग्रेजों को भारत छोड़ना होगा , गुलामी हम नहीं सहेंगे , हमें गुलामी नहीं आजादी चाहिए आदि के नारे लगने लगे थे और अंग्रेजो के द्वारा आजादी की मांग करने वाले नौजवानों पर गोलियां बरसाई जा रही थी ।
लाखों युवक शहीद हो गए । उसी क्रम में 24 अगस्त 1942 को बेतिया में कांग्रेस के नेतृत्व में चंपारण के युवकों , किसानों और महिलाओं का एक प्रभावशाली जुलूस निकाला गया । अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देते हुए छोटा रमना के पूरब छोर पर पहुंच गया । जहां अंग्रेजी सैनिकों द्वारा मशीन गन से गोलियां चलाई गई ।जिसमें 8 युवक शहीद हो गए ।

उनका मकसद था , देश से अंग्रेजों को भगाया जाए और आजादी का जीवन हमारे देश के लोग व्यतीत करें । हमारी देश की अपनी सरकार बन सके । अपनी नीतियां हो । अपने कानून बने । उन 8 शहीद रामेश्वर मिश्र , गणेश राव , गणेश राय , भागवत उपाध्याय , जगन्नाथ पुरी , फौजदार अहीर , तुलसी राउत , भिखारी कोइरी आदि युवकों में से एक थे सबसे छोटा 12 साल का छात्र जगन्नाथ पुरी । जो लौकरिया से स्वतंत्रता सेनानी बिंदेश्वरी प्रसाद राव के साथ अंग्रेजों भारत छोड़ों जुलूस में शामिल होने बेतिया आए थे । जब अंग्रेजों ने जुलूस को आगे बढ़ने से रोकने की चेतावनी दी । तो जान की परवाह किए बगैर जो आजादी के मतवाले थे । शहादत कि जाम पीने को व्याकुल थे । लेकिन किसी भी शर्त पर गोरी हुकूमत को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे । ऐसे नौजवान अपनी जान की बलिवेदी पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूर किया था ।


आज का दिन चंपारण के लिए अविस्मरणीय दिन है । आज हम शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं और 8 शहीदों को नमन करते हैं । उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । साथ ही इस देश की आजादी , बाबा साहब द्वारा निर्मित संविधान , लोकतंत्र , धर्मनिरपेक्षता , अनेकता में एकता जैसे कीमती अधिकारों को अक्छूर्ण रखने का शपथ लेते हैं ।

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