35 वें महासम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता 26 जनवरी को फिर ट्रेक्टर निकलेगा

35 वें महासम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता

26 जनवरी को फिर ट्रेक्टर निकलेगा
जे टी न्यूज


केरल: सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के लिए विशेष कार्यक्रम संध्या 6 बजे से किया गया । जिसकी अध्यक्षता का. अशोक ढवले ने की । उन्होंने कहा कि 4 लाख किसान आत्म हत्या कर चुके हैं । कर्ज से मुक्ति की लड़ाई हमें लड़नी है । सर्वप्रथम किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत , किसान सभा के महामंत्री अतुल कुमार अनजान , किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह को का. हन्नान मौला ने सम्मानित किया । किसान नेता दर्शन पाल और योगेंद्र उग्रहान बीमारी के चलते नहीं आ सके ।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि साथियों से मिलकर लग रहा है कि फिर हम 2023 में संघर्ष के मैदान में चलने की तैयारी कर रहे हैं । केंद्र सरकार अभी भी किसान विरोधी कारवाई कर रही है । इनसे हम लड़ेंगे । तो ये भागेंगे । ये सरकार में बैठे बड़े कमजोर हैं । ये झगड़ा कराने का काम करते हैं । ये किसानों को फसल के आधार पर लड़ाएगें। इनसे सत्तर्क रहना ।
अखिल भारतीय किसान सभा अजय भवन के महासचिव अतुल कुमार अनजान ने कहा कि आज सांप्रदायिक हमले बढ़ रहें हैं । राष्ट्रवाद के नाम पर देश तथा हमारी एकता को तोड़ रहें हैं । जब भगत सिंह को फांसी हो रहा था तो लोग ब्रिटिश हुकूमत मुर्दावाद कर रहे थे । तो ठीक उसी समय पूना के सड़कों पर संघ के लोग महारानी विक्टोरिया जिंदाबाद कर रहे थे । आज वो हमें राष्ट्रवाद सीखा रहे हैं । आज दुनिया में सबसे ज्यादा कुपोषित भारत में हैं । आज खेती बचेगी तो गांव बचेगा , गांव बचेगा तो किसान बचेगा और किसान बचेगा तो देश बचेगा ।


किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि केरल की सरकार ने 100% शिक्षा दिया है । उसे में धन्यवाद देता हूं । आज किसानों के साथ ही मजदूरों की एकता को और मजबूत बनाने की जरुरत है । मोदी सरकार हवाई जहाज , रेलवे से खेती तक को कारपोरेट को दे देना चाहती है । आज मोदी सरकार खाने के अनाजों से इथनॉल बनाने की तैयारी कर रही है । यानी देश को भुखमरी के शिकार बनाना चाहता है ।
का. हन्नान दा ने कहा कि सभी किसान संगठन कुछ मुद्दों पर हम एक साथ आंदोलन में जाते हैं । भूमि अधिकार आंदोलन के सवाल पर 50 संगठन एक साथ लड़ाई लड़ा । मंदसौर किसान हत्या के सवाल पर 250 किसान संगठन जमा हुए और लड़ाई लड़ी गई । किसान विरोधी काला कृषि कानून के खिलाफ लड़ाई में 500 किसान संगठन एक साथ खड़े हैं । जो काला कृषि कानून वापस करा कर बड़ी जीत हासिल किया है । इस लिए मुद्दा आधारित आंदोलन पर एकजुटता बनेगी । आज भी काम करते रहेंगे ।

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