8 जनवरी बौद्ध जगत में विशेष महत्व का दिन है क्योंकि इसी दिन ” धम्म ध्वज ” की स्थापना हुई थी

8 जनवरी बौद्ध जगत में विशेष महत्व का दिन है क्योंकि इसी दिन ” धम्म ध्वज ” की स्थापना हुई थी

– यह धम्म ध्वज सम्पूर्ण विश्व को शांति, प्रगति मानवतावाद और समाज कल्याण की सदैव प्रेरणा देता है
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- बौद्ध धम्म विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। हीनयान, थेरवाद, महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म में प्रमुख सम्प्रदाय हैं। 8 जनवरी 1891 बौद्ध जगत में विशेष महत्व का दिन है, क्योंकि इसी दिन ” धम्म ध्वज ” की स्थापना हुई थी। यह धम्म ध्वज सम्पूर्ण विश्व को शांति, प्रगति मानवतावाद और समाज कल्याण की सदैव प्रेरणा देता है। चूँकि इस धम्म ध्वज में 5 रंग हैं, इसलिए इसको पंचशील का झंडा भी कहा जाता है। ज्ञात हो कि बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला ज्ञान धर्म और दर्शन है। ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में गौतम बुद्ध द्वारा बौद्ध धम्म का प्रवर्तन किया गया। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल में हुआ, उन्हें बोध गया में ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिसके बाद सारनाथ में प्रथम उपदेश दिया, और उनका महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर,भारत में हुआ था। धम्म प्रचार एवं प्रसार के लिए संपूर्ण विश्व में बौद्धों का एक ही प्रातीक होना चाहिए, इस विचार को श्रीलंका के अनागारिक देवंमित्त धम्मपाल, महास्थवीर गुणानंद , सुमगल , बौद्ध विद्वान् जी आर .डिसिल्वा आदि ने मिलकर नीला, पीला, लाल, सफ़ेद, केसरी, ऐसे पांच रगों के खड़े एवं आड़े पट्टों में विश्व बौद्ध ध्वज निर्मित की।

जिसका माप-खड़ा 50 से. मी.,तथा अडा 70 से.मी. है !1) नीला रंग- शांति एवं प्रेम का प्रतीक है।(2) पीला रंग- तेज और उत्साह का प्रतीक है। (3) लाल रंग- शौर्य और साहस का प्रतीक है !(4) सफेद रंग-शुद्धता और निर्मलता का प्रतीक है।
(5) केसरी रंग- त्याग और करुणा का प्रतीक है। माना जाता है कि तथागत की काया से प्रस्फुटित होनेवाले रंगों की आभा के अनुरूप इनमे रंगों का समावेश किया गया है। अत: इसे विश्व “बौद्ध ध्वज” या “धम्म ध्वज”…… ही कहना न्याय संगत होगा।

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