जिला स्थापना दिवस समारोह में माफियाओं रहा हावी, जिलाधिकारी रहे बौना

जिला स्थापना दिवस समारोह में माफियाओं रहा हावी, जिलाधिकारी रहे बौन.

समस्त्तीपुर, बिहार ::-जिला स्थापना दिवस समारोह में माफियाओ रहा हावी, जिलाधिकारी रहे बौना। मालूम हो की जिले के तीनों सांसद सहित वर्तमान विधायक के साथ ही विधान परिषद सदस्यों के सहित जिले के जनप्रतिनिधियों ने जिला स्थापना दिवस समारोह का दीप प्रज्वलित कर किया शुभारंभ ।

जिसका निवर्तमान विधायक, सांसद जनप्रतिनिधियों ने खुलकर विरोध किया है । बताया जाता हैं की जिला स्थापना समारोहों में माफियाओं का राज कायम रहा और जिला प्रशासन उनके पिछलग्गू बने रहे । वर्तमान जिलाधिकारी से स्थानीय जनता ने आशा लगाई थी कि नवयुवक होते हुए इनके द्वारा आमजन के हित में काम किया जाएगा ।

लेकिन जिलाधिकारी भूमि माफिया,शिक्षा माफिया, आर्म्स माफिया इत्यादि के चंगुल में घिरकर रह गए हैं । जिससे जिले के होने वाले विकास अवरुद्ध हो गया है । वहीं जिले में होने वाले राजकीय समारोह में उत्पाद मच जाता है और प्रशासन वहां बौनी साबित नजर आती है। वहीं 14 नवंबर को जिला स्थापना दिवस समारोह के आयोजन में भी वही हाल देखने को मिला ।

वहीं दूसरी ओर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की जन्म दिवस समारोह के लिए जिलाधिकारी के पास पल भर की फुर्सत माल्यार्पण करने तक को नहीं मिला । जिसके कारण आजादी के रखवाले चाचा नेहरू के नाम से प्रसिद्ध बच्चों के चाचा की जयंती समारोह राजकीय ढंग से नहीं मनाया जा सका । वहीं जिला स्थापना दिवस पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भाड़े पर कलाकार बाहर से मंगाऐ जाने की सुचना है, मालूम हो की सरकारी स्कूलों एंव कॉलेजों में सांस्कृतिक पढ़ाई की जाती है और इसके टीचर एंव कलाकार भी हैं । लेकिन आश्चर्य की बात हैं की स्वंय के कलाकार होते हुए बाहर से भारी राशि खर्च कर कलाकार मंगाया जाता हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं । ताजुब्ब की बात है की जिला स्थापना दिवस के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर जिले की 48 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा हैं । जबकि जिले के बेरोजगारों और किसानों के लिए संचालित एकमात्र चीनी मिल और जुट मिल के जीर्णोद्धार के लिए किसी भी सरकार या सरकार के प्रतिनिधियों ने इस तरफ देखना और सोचना तक गंवारा नहीं समझ रहें हैं । जिससे जिलावासियों सहित पत्रकारों, साहित्यकारों, कवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं इत्यादि में सरकार एंव सरकारी नुमाइंदे के प्रति आक्रोश व्याप्त हो गया है ।

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