एफवाईयूपी को खारिज करें राज्यपाल :आइसा

मधेपुर :आज छात्र संगठन आइसा के द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 को वापस ले और चार वर्षीय कोर्स एफवाईयूपी थोपना बंद करे स्नातक मे फिस वृद्धि को लेकर आइसा ने बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्व नाथ अर्लेकर का पुतला दहन कर विरोध जताया मौके पर आइसा जिला संयोजक पावेल कुमार ने

कहाँ की हम सब जानते हैं कि ग्रेजुएशन डिग्री कोई प्रोफेशनल कोर्स नहीं है अर्थात यह सीधे तौर पर कोई नौकरी दिला पाने में काफी नहीं है। इसका मतलब है कि सिर्फ डिग्री के लिए 4 साल (अर्थात एक साल अतिरिक्त) खर्च करना बिहार के दलित, पिछड़े, आदिवासी व महिलाओं के लिए संभव नहीं होगा।

इसके अपने सामाजिक-आर्थिक कारण है। लिहाज़ा यह एफवाईयूपी कार्यक्रम बहुजन समुदाय से आने वाले लोगों को बड़े स्तर पर उच्च शिक्षा में आने से रोकेगा। एफवाईयूपी लागू होने से जिस विषय में ऑनर्स करना चाहते हैं उसके कोर पेपर को घटा दिया जाएगा और उसके जगह पर कौशल विकाश तथा

भारतीय ज्ञान परंपरा के नाम पर मूर्ति पूजा, वैदिक ज्ञान, ज्योतिष विद्या, फिट इंडिया, योग, आयुर्वेद , स्पोर्ट्स फॉर लाइफ, इमोशनल इंटेलिजेंस जैसे विषय पढ़ाने की बात कही जा रही हैं। इससे छात्र छात्राओं को अपने विषय की गहरी समझ नहीं हो पाएगी। यह विद्यार्थियों के भीतर अवैज्ञानिक सोच एवं अंधविश्वास को बढ़ावा देगा।भारतीय ज्ञान परंपरा के नाम पर ब्राह्मणवादी परंपरा पढ़ाया जाएगा।

उदाहरण  के बतौर अगर कोई इतिहास विषय में नामांकन लेता है तो उसको शुरुआती सेमेस्टरों में मूर्ति पूजा, कृषि, ज्योतिष विद्या भी पढ़ाया जाएगा। इतिहास विषय का क्लास/सिलेबस/पेपर को घटा कर उन सभी विषयों को पढ़ाया जाएगा। इससे इतिहास की गहरी समझा प्राप्त नहीं हो सकता। इस

तरह शोधपरक शिक्षा से विमुख कर पूंजीपतियों के लिए सस्ता मजदूर पैदा करने का काम करेगा।मौके पर मौजूद सदर प्रखंड अध्यक्ष सोनू कुमार ने बताया की वर्तमान राज्यपाल नई शिक्षा नीति थोपना चाहती है जो बिहार के छात्रों को पढ़ने से रोकना चाहते है ताकि उद्योगपतियों को सस्ता मजदूर मिले

त्रिपुरारी और शनि कुमार ने बताया की केंद्र सरकार नहीं चाहती है की गरीब के बच्चे अच्छे कॉलेज यूनिवर्सिटी मे पढ़े | मौके पर मौजूद आइसा सदस्य अजय कुमार, राजकिशोर कुमार,नवीन कुमार राजीव कुमार, छोटू कुमार, श्याम, लवकुस, अभिषेक, सौरभ आदि मौजूद थे |

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