सीयूएसबी के समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग में “द एम्पावर्ड इंडियन” विषय पर परिचर्चा

सीयूएसबी के समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग में “द एम्पावर्ड इंडियन” विषय पर परिचर्चा

जे टी न्यूज़, गया : दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सीयूएसबी में विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित विकसित भारत 2047 अभियान के प्रति जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं | जन सम्पर्क पदाधिकारी पीआरओ ने बताया कि इसी श्रृंखला में कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग द्वारा “द एम्पावर्ड इंडियन” विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई है| इस कार्यक्रम में विभाग के प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों के समक्ष विकसित भारत 2047 के सन्दर्भ अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।परिचर्चा की शुरुआत डॉ. प्रिय रंजन सहायक प्राध्यापक के विचारोत्तेजक उद्बोधन से हुआ है। भारत के विकास की यह यात्रा “एक भारत श्रेष्ठ भारत” से “सक्षम भारत” की और अग्रसर होते हुए “विकसित भारत” का सपना संजो रही है।

जिसमें देश के युवाओं का योगदान बहुमूल्य है।आगे डॉ. पारिजात प्रधान सहायक प्राध्यापक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में युवाओं के उत्साहवर्धक योगदान के लिए मैं काफी सकारात्मक हूं। डॉ. जितेंद्र राम सहायक प्राध्यापक ने अपने संबोधन में कहा कि आज एक समावेशित एवं सर्वांगीण शिक्षा की आवश्यकता है तथा शिक्षा, सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दोनों का महत्वपूर्ण पहलू है ‌डॉ. सनत शर्मा सह प्राध्यापक ने कहा कि आपको एक बड़े लक्ष्य के लिए आशावादी सोच के साथ सकारात्मक क्रियाकलाप की आवश्यकता है ।प्रो. अनिल कुमार सिंह झा ने कहा कि विकसित भारत स्वयं को विकास करने से है और इसके अतिरिक्त यह भी महत्वपूर्ण है कि आप समाज को अपने व्यक्तित्व से क्या दे रहे हैं। डॉ आदित्य मोहंती सहायक प्राध्यापक ने कहा कि विकसित भारत के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूर्वाग्रह, रूढ़िबद्ध और भेदभाव मुक्त समाज को स्थापित करना होगा।अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. एम विजय कुमार शर्मा, विभागाध्यक्ष ने कहा कि हमारे राष्ट्र के लिए विकसित भारत एक उज्जवल भविष्य की कल्पना का उद्घोष करता है। इसमें युवाओं की सहभागिता एवं उनके विचार इस संकल्पना की परिपूर्णता के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस संकल्प को पूरा करने में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है । इस कार्यक्रम में विभाग के प्राध्यापकों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं की विचारात्मक एवं सृजनात्मक भागीदारी रही है ।

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