चुनाव कार्य केलिए महाविद्यालय का विकल्प तलाषे चुनाव आयोग: डाॅ सीता, जिलाधिकारी तो शिक्षा उप महासचिव की भी नहीं सुनते

चुनाव कार्य केलिए महाविद्यालय का विकल्प तलाषे चुनाव आयोग: डाॅ सीता, जिलाधिकारी तो शिक्षा उप महासचिव की भी नहीं सुनते


जेटी न्यूज।
समस्तीपुर। माना कि चुनाव राष्ट्रीय पर्व है। किन्तु लोकतंत्र का यह महापर्व क्या देश की नींव छात्रों के भविष्य से भी अधिक महत्वपूर्ण है? चुनाव के नाम पर जिस तरह से प्रशासन द्वारा गैर जिम्मेदाराना अंदाज में महाविद्यालयों का अधिग्रहण किया जाता है और सुविधानुसार तोड-फोड मचाया जाता है और महाविद्यालय के उपकरण व उपस्कर को क्षति पहुंचाई जाती है वह देश की एक जिम्मेदार संस्था चुनाव आयोग एवं इसके अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये की ही गवाही देता है। उक्त बातें चुनाव में महाविद्यालय के अनौपचारिक अधिग्रहण और उससे होने वाले क्षति पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रख्यात शिक्षाविद् डाॅ सीता कुमारी ने संवाददाता को उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग देश की जिम्मेदार संस्था है, मगर बिना किसी समझौते, या करार, या पत्राचार या गारण्टी के काॅलेज अधिग्रहण कर लिया जाता है, फलतः महाविद्यालय को लाखों रूपये की क्षति उठानी पडती है। साथ ही करीब चार महीने शिक्षण व्यवस्था ठप्प होने से छात्रों का अध्ययन अध्यापन भी चैपट रहता है। डाॅ सीता ने कहा कि सरकार तो शिक्षा व्यवस्था को चैपट करने पर तुली ही है, तो क्या चुनाव आयोग जैसी जिम्मेदार संस्था भी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने को अपना कर्तव्य समझ रही है?

उन्होंने बताया कि समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर को प्रत्येक चुनाव में चुनाव संचालन स्थल बनाए जाने से मुक्ति की मांग जोर पकड़ने लगी है। पिछले दिनो अभिभावकों के पत्र के आलोक में शिक्षा विभाग के उपमहासचिव केके पाठक ने तमाम जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर किसी महाविद्यालय को चुनाव हेतु अधिग्रहण नही ंकरनेज और शिक्षा कर्मियों को चुनाव कार्य हेतु अंतिम विकल्प में रखने का आग्रह किया था। मगर उक्त पत्र की अनदेखी करते हुए जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह ने समस्तीपुर काॅलेज समस्तीपुर को एक बार फिर चुनाव कार्य केलिए चिन्हित किया है। मतलब यह कि एक बार फिर चुनाव कार्य में कालेज के बिना शर्त अधिग्रहण से एक तरफ जहां 4 माह केलिए शैक्षणिक व्यवस्था ध्वस्त होगी वहीं तिनका-तिनका जोड़ कर सजाये गये शैक्षणिक उपकरण एवं उपस्कर के अलावे पंखे, बिजली के बल्ब आदि को मिला कर करोड़ों रुपए का नुकसान होगा।

बिना शर्त अधिग्रहण के कारण कोई क्षतिपूर्ति या प्रतिपूर्ति भुगतान नहीं किया जाता है। चुनाव आयोग को ही इस दिशा में मजबूत पहल करते हुए वैकल्पिक प्रबंध करने का आदेश देना होगा क्योंकि जिलाधिकारी तो शिक्षा उप महासचिव की भी नहीं सुनते। या फिर इस दौरान होने वाली तमाम प्रकार के भौतिक क्षति केलिए जिलाधिकारी को सीधे जिम्मेदार मानते हुए प्रतिपूर्ति का आदेश दिया जा सकता है।

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