एस बी आई आएगा चुनावी बॉन्ड के लुटेरों को सुप्रीमकोर्ट में बचाएगा

आलेख – प्रभुराज नारायण राव
नई दिल्ली – देश में पिछले दिनों भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा जारी चुनावी बांड के माध्यम से देश के राजनीतिक दलों को कारपोरेट जगत या बड़े पूंजीपतियों के द्वारा आर्थिक सहयोग करने का काम शुरू हुआ था । इसके लिए संसद द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि इस बॉन्ड के बारे में किसी भी

संस्था को यानी आरटीआई को भी कोई भी जानकारी नहीं दी जाएगी। इस बॉन्ड के माध्यम से 16 हजार करोड़ रूपया राजनीतिक दलों को दिया गया। यह बॉन्ड 22217 लोगों के द्वारा लिया गया था। यह सवाल उस समय से ही देश के सामने गंभीर रूप से खड़ा हो गया था कि इतने बड़े पैमाने पर देश के

राजनीतिक दलों को एसबीआई बॉन्ड के माध्यम से पैसे दिए जा रहे हैं और उसके बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। तो कहीं ना कहीं यह एक गंभीर मसला है और अपराध की श्रेणी में आने वाला मसला है। तभी तो लोगों तक इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। इस सवाल को

गंभीरता से लेते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए एक बाद दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लिया और 14 फरवरी 2024 को एसबीआई को नोटिस दिया कि आपके द्वारा जारी किया गया बॉन्ड 22217 लोगों ने खरीदा। उसकी सूची 6 मार्च तक

सुप्रीम कोर्ट को सुपुर्द करें । एस बी आई ने बड़ी चालाकी के साथ एक दिन पूर्व 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा एक आवेदन दिया गया । जिसमें अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए 30 जून के पहले इसकी सूचना नहीं दिए जाने की गुहार लगाई गई । यह और भी गंभीर सवाल देश के

सामने खड़ा करता है। क्योंकि इस डिजिटल दौड़ में एक क्लिक में सेकंड के अंदर सारी चीज सामने आ जानी है।उसके लिए 4 महीने का भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सुप्रीम कोर्ट से समय मांगना यह कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष के साथ मिली भगत को दर्शाता है। यानी बहुत स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो लोकसभा

चुनाव की सारी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, नई सरकार केंद्र में आ जाने के बाद इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय पीठ ने जिस गंभीरता को चुनाव के पहले उजागर करने को चाहा था। उस पर रोक लगाने का काम भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा किया जा रहा है।

अब यहां बहुत स्पष्ट हो चुका है कि इस घपला के अंदर बहुत सारे रहस्य छिपे हुए हैं । यह पैसे उन लोगों के द्वारा दिए गए हैं , जिनको वर्तमान मोदी सरकार लाभ पहुंचाने का भी काम किया है। यह सब जानते हैं कि भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दिए गए 15 लाख करोड रुपए जो अडानी जैसे कॉरपोरेट लोगों

को दिए गए थे। उसको प्रधानमंत्री के आग्रह पर भारत सरकार ने माफ कर दिया था। अगर चुनावी बॉन्ड पहले सामने आ जाता है । तो देश के कॉर्पोरेट लुटेरे और सत्ता से जुड़े मोदी सरकार का काला चिट्ठा भी खुलकर सामने आ जाएगा। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट को चुनावी प्रक्रिया समाप्त होने के

बाद इसकी जानकारी देने की गुहार लगाई जा रही है । आज 6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को उनके आवेदन पर भी विचार करने हैं । सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय आज आएगा । वह लोकसभा चुनाव के पहले नतीजों को प्रभावित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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