अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी से उठ रहे है कई सबाल-ख़बरीलाल

अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी से उठ रहे है कई सबाल-ख़बरीलाल

भारतीय राजनीति में पतन का दौर चल रहा है आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है

भारतीय राजनीति-राजनीतिक दल या राजनेता वैश्विक राजनीति के क्षितिज पर चमकने वाला भारतीप राजनीति का महासूर्य को राहु -केतु की बुरी नजर

भारतीय राजनीति का यह बुरा दौर का अन्त कब Sach

जे टी न्यूज, दिल्ली(विनोद कुमार सिंह): दिल्ली की फ़िजा में ऋत राज बंसत की ब्यार,होली के रंग,गुजिया की मिठास फीकी पड़ गई है।दिल्ली वासियों को सर्दी के मौसम से निजात मिल ही थी,सड़क के दोनो किनारे पर दिल्ली नगर निगम व अन्य संस्थानों के सौजन्य से रंग-बिरंगे फूलों से गमलों सबका ध्यान आर्कर्षित कर रही थी।सम्पूर्ण वातावरण में मौसम व प्रकृति ने परिवर्तन की अगड़ाई ली,सुर्यदेव की कृपा दृष्टि पड़ी, तभी केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा देश में कई राज्यों के विधान सभा चुनाव के संग लोकसभा आम चुनाव की घोषणा करते ही सबकी जुबान पर एक ही सबाल है-भारतीय राजनीति में पतन का दौर चल रहा है।आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है।भारतीय राजनीति -राजनीति क दल या राजनेता।वैश्विक राजनीति के क्षितिज पर चमकने वाला भारतीय राजनीति के महासूर्य को राहु-केतु की बुरी नजर आखिरकार लग ही गया है।भारतीय राजनीति का बुरे दौर के लिए आखिर कब खत्म होगा।वर्तमान परिपेक्ष में भारतीय लोकतंत्र में सतापक्ष-विपक्ष की सता के सिंघासन पर आसीन होना ही मूल उद्देश्य रह गया है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत जिसकी उपमा विश्व के सभी प्रजातांत्रिक सुदृढ़ व्यवस्था वाले देशो में बड़े ही आदर व सम्मान के साथ लिया जाता रहा है।क्या यही भारत विश्व गुरु बनेगा,जो सम्पूर्ण विश्व का मार्ग दर्शन व नेतृत्व करेगा इत्यादि।इन ज्वलंत प्रशनों पर इन दिनों सब की जुबान पर एक ही सबाल है-भारतीय राजनीति में पतन का यह दौर चल रहा है इसके लिए आखिर कार कौन जिम्मेदार है।
विगत दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है।इसी के साथ ही देश में एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई कि क्या किसी राज्य के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है?आप को बता दे कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है ‘लेकिन अपराधिक मामलों में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है।विगत दिनो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय(ED)ने तकरीबन 2 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।केजरीवाल के गिरफ्तारी के बाद ही देश में एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई कि क्या किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है?ऐसा इसलिए भी है,क्योंकि कुछ वक्त पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था।हालांकि,हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल का मामला हेमंत सोरेन से अलग है।इस संदर्भ में न्यायिक सदस्य एनजीटी के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त)सुधीर अग्रवाल ने कहा,किसी सरकारी अधिकारी के जेल जाने की स्थिति में उसे निलंबित करने का कानून है,लेकिन राजनेताओं पर कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है।फिर भी चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है,ऐसे में अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है,लेकिन अपराधिक मामलों में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है।ठीक यही नियम प्रधानमंत्री,केंद्रीय मंत्री,लोकसभा और राज्य सभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए भी हैं।हालांकि,राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता है।अनुच्छेद 361के तहत राष्ट्रपति या किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी कोर्ट में कोई क्रिमिनल कार्यवाही शुरू नहीं हो सकती है और न ही कोई कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है।आप के मन में प्रशन उठना स्वाभाविक है कि
किसी राज्य के मुख्य मंत्री की गिरफ्तारी को लेकर नियम क्या हैं?उनकी गिरफ्तारी से पहले अनुमति लेनी होगी।
कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है,लेकिन आपराधिक मामलों में ऐसा नहीं है।आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है।जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।किसी राज्य का मुख्यमंत्री कब-कब गिरफ्तार नहीं हो सकते है।सर्व विदित रहे कि मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य की गिरफ्तारी कब हो सकती है इसको लेकर भी बकायदा नियम बने हुए हैं।कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर135 के तहत विधानसभा सत्र शुरू होने से 40दिन पहले और खत्म होने के 40दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।इस संदर्भ में राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण ने मानना है कि अरविन्द केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है,उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है तो यह सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं।इसे लेकर संवैधानिक नियम-कायदे जैसी कोई बात नहीं है।हॉलाकि,इसके पूर्व में ऐसा कोई मामला मेरे ध्यान में नहीं आता,जबकि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो।कुछ परिस्थितियाँ आई थी,लेकिन
लालू प्रसाद यादव,दिवंगत जे जयललिता,बीएस येदियुरप्पा और हेमंत सोरेन की अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी हुई थी।आप के मन प्रश्न उठना स्वाभाविक अभी तक कोई मुख्य मंत्री गिरफ्तार हुआ है क्या अगर हाँ तो वह कौन कौन है।आप को बता दे कि बिहार के चर्चित चारा घोटाला मामले में सीबीआई की चार्जशीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था,जिसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।उनके स्थान पर उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थी।इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई थी।वहीं जय ललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराई गई थी जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।यहाँ पर स्पष्ट कर दे कि मामले की जांच जब तक चली थी वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रही थीं।ऐसा ही एक मामला साल2011में कर्नाटक से सामने आया,जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था और कुछ वक्त बाद फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
देश की राजधानी दिल्ली जो कि पुर्ण राज्य नही है।हालाकि यहाँ विधान सभा में 70 विधायक है। जिसके मुखिया अरविन्द केजरीवाल है।जिनकी गिरफ्तारी बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं दिल्ली की जनता में दबी जुबान से चिन्तन व चर्चा होने लगी कि अब क्या होगा ‘ पार्टी की कमान कौन संभालेगा। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व पुर्वमंत्री सतेन्द्र जैन पहले से ई डी के आरोप में जेल में है।ऐसे में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली की अप्रत्यक्ष रूप से कमान अपनें हाथ में ली है।कुछ लोगो ने कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली की अघोषित सी एम बन गई हैं।साथ ही सुनीता केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (आप)के मुखिया का पद भी अप्रत्यक्ष रूप से संभाल लिया है। देश में लोकसभा के चुनाव का बिगुल बज चुका है।सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी दलों के उम्मीदबारों को जिताने के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त है। ऐसे में भाजपा को टक्कर देने के लिए सुनीता केजरीवाल ने मोर्चा संभाल लिया है।सर्वविदित रहे कि अरविंद केजरीवाल 21 मार्च से ईडी की हिरासत में हैं।22 मार्च से ही उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने दिल्ली की सरकार चलाने से लेकर आम आदमी पार्टी को चलाने का काम संभाल रखा है।पहले ही संभावना जता दी थी कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सुनीता केजरीवाल ही दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री बनेगी।इस समय सुनीता केजरीवाल पूरी तरह से दिल्ली की अघोषित मुख्यमंत्री नजर आ रही हैं।आम आदमी पार्टी के तमाम मंत्री,विधायक तथा नेता सुनीता केजरीवाल के निर्देश पर ही काम कर रहे हैं।ऐसे में आप के मन भी सुनीता केजरीवाल के संदर्भ में जानने की जिज्ञासा होना स्वाभाविक है।
आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार हो जाने की स्थिति में दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के रुप में सुनीता का नाम चल रहा है। सुनीता कोई और नहीं अरविंद केजरीवाल की पत्नी है।अरविंद केजरीवाल की तरह से ही सुनीता केजरीवाल भी भारतीय रैवेन्यू सर्विस(IRS)की अधिकारी रही है।अब से लगभग 7वर्ष पूर्व वर्ष 2016में सुनीता केजरीवाल ने आईआरएस का पद स्वैच्छा से छोड़ दिया था।यानि उन्होंने आईआरएस की सेवा से वालियंटर रिटायरमेंट ले लिया था।स्वैच्छा से पद छोड़ते समय सुनीता केजरीवाल 22 वर्ष की नौकरी पूरी कर चुकी थी। वालियंटर रिटायरमेंट के समय सुनीता केजरीवाल दिल्ली के आयकर विभाग में अपीलीय ट्रिब्यूनल(ITAT)में कमिश्नर आफ इनकम टैक्स के पद पर तैनात थी।15 जुलाई 2016 से उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानि वालियंटर रिटायरमेंट प्रभावी हुआ था।


भारतीय राजनीति के इतिहास के पन्ने पर निगाहे दौड़ाने पर सक्रिय राजनीति में पति के राजनीतिक भुमिका उनकी पत्नियों की भुमिका समय समय पर निभाई है।यह बात जग जाहिर है।हालाकि आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल परिवारवाद का पुरजोर विरोध करते रहे हैं।राजनीति में खासकर भारतीय राजनीति में जब अरविंद केजरीवाल पर ईडी के कस्टडी में है ऐसे परिस्थित में उनकी आई आर एस (IRS)पत्नी सुनीता केजरीवाल आगे आ कर अपनी कर्तव्य का निर्वाह करते हुए आगे आई है।इसके पहले भी वहअपने पति के चुनाव में हमेशा सक्रिय रही हैं।उन्होंने दिल्ली में वर्ष 2013,2015 तथा वर्ष2022में अरविंद केजरीवाल के लिए खुलकर वोट मांगते हुए देखा गया था।आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के विरुद्ध भी केस चल चुका है।भाजपा नेता हरीश खुराना की शिकायत पर सुनीता केजरीवाल के विरुद्ध दो विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में नाम होने का केस चला था।आरोप था कि सुनीता केजरीवाल का नाम यूपी की साहिबाबाद तथा दिल्ली की चांदनी चौक विधानसभा सीटों की मतदाता सूची में है।बाद में यह मामला रफा दफा हो गया था। अरविन्द केजरीवाल की गिरप्तारी क़ा मामला ईडी-न्यायलय में चल रही है।भारतीय राजनीति के चुनावी समरक्षेत्र में केन्द्र में सता के सिंघासन पर आसीन भाजपा व एन डी ए की सरकार जहाँ अबकी बार 400 पार का नारा लगाते हुए-मोदी की गारंटी दे रही है।वही विपक्ष अपनी आपसी कलह,ई डी,सी बीआई आदि जाँच ऐजेन्सीयों की आँच से बचने के लिए या तो भा जा पा में शामिल हो रही है।तो कुछ राजनीतिक दलों नें देश के लोक तंत्र खतरे में बता कर संविधान की रक्षा की गुहार कर रही।अब तक अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी की गुंज देश के बाहर भी सुनाई पड़ने लगी है।जो विश्व के सबसे बड़े व स्वस्थ लोकतंत्र के यह खतरे की घंटी है।ऐसे भारत व भारतीय राजनीति की दशा व दिशा पर कई सवाल उठाने जा रहे है।जिसका जबाब केवल प्रजातंत्र के सच्चे नागरिक यानि भारतीय मतदाता अपनी सुझ बुझ से आने वाले लोक सभा चुनावों में अपना मतदान कर दे सकते है।फिलहाल इसके अभी से भविष्यवाणी करने से हमसभी को बचना चाहिए।अतीत के गर्भ में क्या है किसी को मालुम नही। इसके लिए हमें व आप इंतजार करना पड़ेगा।तभी तो किसी नें इंतजार का फल हमेशा ही मीठा होता है।फिलहाल आप से विदा लेते है।फिर मिलेगे तीरक्षी नज़र से तीखी खबर के संग,तब तक के लिएअलविदा।

Related Articles

Back to top button