*27 रुपए रोज पर जी रहे किसान और कर रहे आत्महत्याएं*

*27 रुपए रोज पर जी रहे किसान और कर रहे आत्महत्याएं*


आलेख प्रभुराज नारायण राव
2024 में लोक सभा चुनाव हो रहा है। देश की मोदी सरकार जितना किसानों को ठगा है।छला है। उसे किसानों ने भोगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश की सार्वजनिक संपत्ति को जिस तरीके से बेचने का सिलसिला शुरू किया है ।वह देश के लिए तो चिंता की बात है ही। लेकिन अब देश के कारपोरेट जगत के सुझाव पर खेती योग्य जमीनों को भी कारपोरेट जगत के हाथों में देने की नीति नरेंद्र मोदी की सरकार ने बनाई है।जिसे लागू करने के लिए किसान विरोधी तीन काले बिल सामने आए थे।इस बिल को मोदी सरकार ने लोकसभा में पारित कर कानून का स्वरूप दे दिया था।
तब तक किसान संगठन अलग-अलग संघर्ष कर रहे थे ।वह एकजुट संघर्ष के लिए नवंबर 2020 में एकत्र हुए और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली की सड़कों को चारों तरफ से घेर लिया। मोदी सरकार किसी भी स्थिति में किसानों को दिल्ली पहुंचने नहीं देना चाहती थी । इसलिए गाजीपुर बॉर्डर से सिंघु बॉर्डर ,पलवल बॉर्डर जैसे सभी दिल्ली में आने वाली सड़कों को खुदवा कर बड़े-बड़े लोहे के कील लगवा दिए थे।ताकि किसानों के ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ आगे नहीं बढ़ सके । किसान वहीं बैठ गए और वहीं बैठकर धरना प्रदर्शन करने लगे ।इस बीच कोरोना का दौर आया मोदी सरकार चाहती थी कि इस दौर में किसान अपने आंदोलन को समाप्त करके अपने-अपने घर चले जाए। लेकिन किसानो की समझ थी कि आत्महत्या से बेहतर है कि कोरोना से मर जाएं। इसलिए अपनी समस्याओं के समाधान के बगैर जाने को तैयार नहीं थे।
धीरे-धीरे 500 किसान संगठनों की एकजुट जमात किसानों की बन गई । संयुक्त किसान मोर्चा के 750 किसान धरना देते हुए शहीद हो गए। लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के निर्देश पर उनका बेटा आशीष मिश्रा ने अपनी गाड़ी से रौंद कर पांच किसानो की हत्या कर दी। अब यह आंदोलन दिल्ली की सड़कों तक नहीं ।बल्कि पूरे देश के गांव तक फैल गया। यह देख देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भयभीत हो गए और उन्होंने 2021 में किसान विरोधी तीनों काले कानून को वापस ले लिया और किसानों से आग्रह किया कि आप घर जाएं । आपकी एमएसपी सहित सारी मांगों को हम पूरा करेंगे। किसान मोदी के बातों से सशंकित थे । इसलिए आंदोलन को स्थगित करके वह अपने-अपने घर को गए ।लेकिन मोदी सरकार ने किसानों की मांगों को नहीं मानी ।


आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डंके की चोट पर मोदी की गारंटी की बात करते हैं । सही मायने में उसे मोदी की झूठ की गारंटी कहते तो ज्यादा उपयुक्त होता । क्योंकि 2014 के लोक सभा चुनाव में मोदी ने देश की जनता से यह वादा किया था कि विदेश में पड़े काले धन को 3 महीने के अंदर हम वापस लाएंगे और 15 15 लाख रुपए सभी के खाते में डाल देंगे । इतनी बड़ी लालच पर देश की जनता ने एक मुश्त वोट उन्हें दे दिया और वह प्रधानमंत्री बन गए।
2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने कहा कि मैं किसानों के आमदनी को 2022 की जनवरी तक दुगनी कर दूंगा और प्रत्येक साल 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार दूंगा । अबकी बार फिर किसान और देश के बेरोजगार नौजवान उनके झांसे में आ गए और अपना मत देकर उन्हें दूसरी बार प्रधानमंत्री बना दिया। उनकी एक-एक बातें , एक-एक आश्वासन झूठे साबित हुए ।आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में घूम कर देश के लोगों के सामने मोदी की गारंटी का भरोसा दिला रहे हैं। वह जिन कामों को जनता के बीच गिनाना चाहते हैं ।वह जनता की मौलिक समस्याएं नहीं है। बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे के आधार पर तीन तलाक कानून ,कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति जैसे कानून की उपलब्धि की बात कर रहे हैं ।जिससे हम जनता का कोई लेना देना नहीं है।
यह सब को पता है कि आज नरेंद्र मोदी की शासनकाल में प्रत्येक साल एक लाख किसान आत्महत्या कर रहे हैं। क्योंकि वह कर्ज से दबे हुए हैं ।किसानों के फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम नहीं मिल रहा है। एम एस पी को कानूनी दर्जा अभी तक नहीं दिया गया। अभी केंद्र सरकार जहां गेहूं पर एमएसपी 2275 रुपए देने की घोषणा की है। वह लोक सभा चुनाव को देखते हुए किया गया है। जबकि स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओं के आधार पर गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3200 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए।


आज देश के किसानों की आमदनी 27 रुपए रोज है। यानि 27 रुपए रोज पर देश के किसान जी रहे हैं। इसलिए देश के किसान यह निर्णय लिए हैं कि इस देश की मोदी सरकार घोर किसान विरोधी है । यह न केवल हमें न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे रही है। बल्कि किसानो की जमीनों को देश के कॉर्पोरेट के हाथों में दे देने का मन बना चुकी है। इसलिए किसान अपनी जमीन , देश की संविधान तथा लोकतंत्र की रक्षा के लिए नरेंद्र
मोदी की किसान विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ एक मुश्त मतदान करेंगे तथा किसान और संविधान विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।

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