अल्पसंख्यक अधिकार मंच का प्रथम राज्य कन्वेशन 11 अगस्त को सम्पन्न
राष्ट्र निर्माण में अल्पसंख्यकों की भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता*- *यूसुफ तारिगामी
अल्पसंख्यक अधिकार मंच का प्रथम राज्य कन्वेशन 11 अगस्त को सम्पन्न
राष्ट्र निर्माण में अल्पसंख्यकों की भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता*- *यूसुफ तारिगामी
जे टी न्यूज, पटना: जंगे आजादी से लेकर राष्ट्र निर्माण में अल्पसंख्यकों की बड़ी भूमिका है। देश के इतिहास में जो स्थान इन्हें मिलना चाहिए उसमें भारी कोताही बड़ती गई है। स्वतंत्रता संघर्ष में क्या हिंदू क्या मुसलमान सभी ने कंधे से कंधा मिलाकर गोरों को देश छोड़ने पर मजबूर किया। 1857 का योद्धा पीर अली खान जिनको इस गांधी मैदान से सटे उत्तर फांसी दी गई थी, वह बिहार के गौरवशाली इतिहास का एक प्रमुख हिस्सा है। केंद्र सरकार का ध्यान आज भी जनकल्याणकारी मुद्दों पर न होकर ध्यान भटकाने वाली वर्तमान में देखा जा रहा है। आज वक्फ बोर्ड को फिजूल में विवादास्पद बना दिया गया है। हम इस बिल का सख्त विरोधी हैं। यह चिंताजनक है कि लोकसभा चुनाव के बाद दर्जनों जगहों पर मुस्लिम समुदाय पर हमले हुए और सरकार तमाशाबीन बनी हुई है।
*उपरोक्त आशय का वर्णन जम्मू कश्मीर के पूर्व विधायक, सीपीएम नेता कॉमरेड यूसुफ तारिगामी* ने अल्पसंख्यक अधिकार मंच के राज्य कंवेशन का उद्घाटन करते हुए आई एम ए हॉल में किये। कन्वेंशन अली इमाम खाँ और सत्तार अंसारी द्वारा गठित दो सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने किया जिसका संचालन डा० प्रो० असिफ अली के जिम्मे था।
कन्वेंशन में बिहार के हर जिले से सैकड़ो की संख्या में प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मंच के राज्य संयोजक अहमद अली ने सबसे पहले अपना रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि आज भी नीतीश सरकार अल्पसंख्यकों के हक अधिकार के प्रति उदासीन बनी हुई है।इनके उत्थान के लिए जो फंड निर्धारित है उसमें व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। सरकारी कार्यालय में उर्दू जानकारों की बहाली का वादा एक जुमला साबित हो चुका है। सच्चर एवं रंगनाथ मिश्र अयोगों की सिफारिशें ठंढे़ बस्ते के हवाले हैं। सांप्रदायिक और भड़काऊ भाषणों पर कोई रोक नहीं है। संविधान द्वारा प्रदत धार्मिक आजादी पर बे रोक टोक हमले जारी है। कन्वेंशन के माध्यम से उपरोक्त समस्याओं के विरुद्ध संघर्ष का आह्वान किया गया।
इस अवसर पर फिलिस्तीन में नरसंहार और बंगला देश की राजनैतिक उथलपुथल पर सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किये गये।
अन्त में किसान नेता ललन चौधरी ने सभी प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया।
वक्ताओं में मुख्य हैः मोहम्मद तसलीमुद्दीन,मो० आफताब आलम, शगुफ्ता तानवर, मोहम्मद आजम, शमीमअहमद, एम एन अंसारी, इम्तियाज भारती, अली अनवर, सुल्तान अंसारी, महबूब अली, सैफ अली, हुसैन अंसारी आदि थे।