चौमासे को छोड़कर बाकी समय गंगा-यमुना की दशा और दिशा चिंताजनक

चौमासे को छोड़कर बाकी समय गंगा-यमुना की दशा और दिशा चिंताजनक

जे टी न्यूज, दिल्ली: गंगा-यमुना पर सरकारी, गैर-सरकारी स्तर पर बड़ी-बड़ी बातें लंबे समय से की जा रही है। बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई गई। भारी-भरकम बजट आए। न्यायालयों ने भी अलग-अलग स्तर अनेक फैसले सुनाए। जोरदार प्रचार-प्रसार हुआ। विज्ञापनों, लेखों, पर्चों के साथ-साथ सोशल मीडिया में भी आवाज बुलंद हुई। वही ढाक के तीन पात।

चौमासे को छोड़कर बाकी समय गंगा-यमुना की दशा और दिशा चिंताजनक स्थिति में नजर आती है।

गंगा-यमुना पर आयोजित कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न होने के दावे एक से बढ़कर एक किए जाते है। नतीजा पुनः मुशक भव:।

कार्यक्रमों के बाद जो अवशेष पड़े रहते हैं। उनके द्वारा जारी नुकसान पर मौन क्यों?

योजनाएं बहुत ही अच्छी लगती है मगर क्रियान्वयन लगभग गायब।

गंगा-यमुना की अविरलता, निर्मलता, गुणवत्ता सतत समग्र ढंग से बनाकर रखना चाहते है तो छोटी-बड़ी सहायक धाराओं, नदी-नालों, झीलों, तालाबों, जोहडों जैसे सभी जलस्रोतों पर काम करने की आवश्यकता है।

सभी जलस्रोतों के साथ सटीक जागरूकता निभानी होगी।

कानून के साथ-साथ जन-जन में जागरूकता, समझदारी, सक्रियता पैदा करने के प्रयास करने होंगे।

कर्मकांड के बजाय सही धर्म को अपनाना होगा।

नदियों के संरक्षण-संवर्धन, निर्मलता, गुणवत्ता, जागरूकता, अविरलता के लिए दृढ़ संकल्प लेकर सेवा, साधना की राह पर चलना है।

अनेक साथी अपने-अपने ढंग से कटिबद्ध होकर सक्रियता से सतत कार्यरत है। इनका असर भी नजर आता है। और अधिक प्रयासों की आवश्यकता महसूस है।

हर स्तर पर कदम उठे, बढ़े तभी संभव हो सकता है यह महायज्ञ पूरा हो।

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