बिना किसी मदद व निर्देश के जुट गए राहत और बचाव कार्य में l9431406262

डीआईजी ने इन्हें सम्मानित करने का लिया निर्णय,

जेटीन्यूज़

*भागलपुर :* नवगछिया में ट्रक दुर्घटना के बाद सबसे पहले स्थानीय चौकीदार और दफादार मौके पर बिना किसी निर्देश के पहुंच गए। वहां की दयनीय हालात देखकर, उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन वे लोग क्रेन और अन्य मदद की प्रतीक्षा किए बगैर राहत व बचाव कार्य में जूट गए।

सात चौकीदार और एक वफादार ने लोहे का पोल बड़ी दिक्कत से हटाकर वहां पड़े क्षत-विक्षत शव को किसी तरह बाहर निकाला। इस ऑपरेशन को देखकर डीआईजी सुजीत कुमार ने उनकी प्रशंसा कर सराहना की और उन्होंने नवगछिया एसपी निधि रानी से उनके नामों की सूची मांगी है। डीआईजी सुजीत कुमार ने निर्णय लिया है कि ड्यूटी में इस मुस्तैदी से कार्य के लिए ऐसे कर्तव्यनिष्ठ चौकीदार दफादार को वे सम्मानित करेंगे।

शव की स्थिति देख दहल गए लोग

गौरतलब हो कि मंगलवार की सुबह लगभग 6 बजे भागलपुर- नवगछिया में हुए ट्रक व बस के टक्कर के दौरान एक भीषण सड़क हादसि हुआ था,जिनमें 9 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी। घटनास्थल पर सबसे पहले दफादार अजय झा समेत चौकीदार किशोर पासवान, विनोद पासवान, मुरारी पासवान, अनिल पासवान, देवन पासवान, राजेंद्र पासवान और राजेश पासवान पहुंचे थे।

पहले तो लोहे का पोल देख वे भी हिम्मत नहीं कर रहे थे। बाद में किसी तरह हिम्मत जुटा पोल हटाना शुरू किया तो शव की स्थिति देख उनके भी दिल दहल गए।

अलग से बनेगी रणनीति

डीआइजी ने दुर्घटना के बाद मौके का दौरा किया। उन्होंने नवगछिया एसपी से इस मामले में एक रिपोर्ट भी मांगी है। उन्होंने कहा कि हादसे की क्या गंभीर वजह है। इस पर भी कई बातों पर चर्चा हुई। इसके लिए अलग से रणनीति बनाई जाएगी। ताकि दुर्घटनाओं में कमी आ सके।

ट्रैफिक डीएसपी को किया निर्देशित

सोमवार को भागलपुर में हुए तीन सड़क हादसों व जाम को लेकर भी डीआइजी ने एक रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने मंगलवार को ट्रैफिक डीएसपी रत्न किशोर झा को बुलाकर दुर्घटना व जाम पर चर्चा की। उन्हें कई जरूरी निर्देश दिए, ताकि लॉकडाउन के दौरान जाम की स्थिति नहीं हो।

प्रवासियों की मौत पर अंभो गांव में नहीं जले चूल्हे

अंभो गांव के लोग मंगलवार की सुबह नींद से जागे ही थे कि जोर की आवाज आई, जो जिस हाल में थे, उसी हाल में उस ओर दौड़ पड़े। अंभो चौक के समीप ट्रक सड़क किनारे गड्ढे में पलटा था, जिसके नीचे बेतिया और मोतिहारी के कई प्रवासी मजदूर दबे पड़े थे।

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