वित्त रहित शिक्षा कर्मियों एवं उनके परिवारों की अप्रत्यक्ष हत्या करना बंद करें मुख्यमंत्री – पासवान

कार्यालय, जेटी न्यूज़।
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता एवं दलित प्रकोष्ठ के सत्यवीन पासवान ने मुख्यमंत्री पर एक बार फिर निशाना साधते हुए कहा है कि नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री शिक्षा माफियाओं के चंगुल में फंस चुके हैं। विगत 2012 से मुख्यमंत्री 225 संबंध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के साथ क्रूर मजाक करते आ रहे हैं।

2012 से अब तक अनुदान राशि के भुगतान को कोई न कोई बहाना बनाकर परेशान करने की निंदा करते हुए श्री पासवान ने शीघ्र भुगतान करने की मांग किया है। साथ ही कहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा नित नए नियमों का हवाला देकर भुगतान में अनावश्यक विलंब किया जाना भी एक जघन्य अपराध से कम नहीं है।

उन्होंने कहा कि बिहार के 225 संबद्ध डिग्री महाविद्यालय के शिक्षकों एवं उनके परिवार की हत्या करना बंद करें क्योंकि जिस व्यक्ति को प्रति महीना तनख्वा नहीं मिलने से आत्महत्या और हत्या के सिवा कोई चारा नहीं बचता है, क्योंकि उधार पैचा एक 8 महीने के लिए दिया जा सकता है ना की 8 साल 10 साल कोई उधार दे सकता। इतना ही नहीं बच्चों की पढ़ाई लिखाई शादी विवाह पर भी प्रभावित प्रभावित होता है।

बिहार सरकार द्वारा कई वर्षों से महाविद्यालयों की स्थापना, प्रस्वीकृति, छात्रों के परीक्षांकों की जांच, आदि विषयों के नाम पर 2012 से अब तक की जांच पूरी करने के नाम पर अनुदान लटकाए रखना शिक्षकों का अपमान बताया। श्री यादव ने शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के नियत पर कई प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है। वहीं अप्पन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक कुमार गुप्ता ने बताया है कि कई शिक्षकों के सामने दवा, बेटी की शादी, बैंक ऋण आदि की समस्या सामने आ चुकी है।

कई शिक्षक असमय मौत के गाल में समा चुके हैं। लेकिन बेरहम सरकार को इस से कोई मतलब नहीं है। श्री गुप्ता ने जांचों के विषय पर कहा है कि एक ही जांच में अगर सरकार को दस-दस साल लग रहे हैं तो सरकार में किन तंत्रों का विकास हुआ है। इस सरकार में शिक्षा का स्तर बिल्कुल गिर चुका है। शिक्षक ही भूखे रहेंगे तो वह शिक्षा क्या देंगे?

अतः सरकार को चाहिए अति शीघ्र संभव प्रयास करते हुए शिक्षकों के अनुदान राशि का भुगतान कर दिया जाए ताकि आने वाले भविष्य में छात्रों के शिक्षा पर इसका कुप्रभाव न पड़े। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर नीतीश सरकार कर क्या रही है? क्या इन शिक्षकों को देने के लिए इनके पास राशि नहीं हैं या यह राशि निर्गत नहीं करना चाहती है?

आखिर इतने दिनों से चले आ रहे हैं संबंध डिग्री महाविद्यालयों के विषय में सरकार सोच क्या रही है? आखिर क्या इसी तरीके से पटरी पर आ जाएगी बिहार की शिक्षा व्यवस्था? क्या पढ़े लिखे लोग शिक्षा क्षेत्र से अपना नाता तोड़ लें? क्या शिक्षा क्षेत्र रोजगार जगत से परे की चीज है? इस तरह के कई प्रश्न सरकार के सामने खड़े हो सकते हैं। अब देखते हैं की सरकार क्या कुछ इस पर कदम उठाती है।

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