प्रवासी कामगारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या हुई विकराल, सरकार की अव्यवस्था के कारण लौटने को मजबूर

कार्यालय, जेटी न्यूज
बेगूसराय । देश में लॉकडाउन के चलते अपने गृह राज्य बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों को सही ढंग से रोजी-रोटी की व्यवस्था नहीं होने से उनकी हालत बिगड़ती जा रही है। इन मजदूरों पर कोरोना महामारी के साथ बाढ़ एवं जलजमाव की दोहरी मार पड़ रही हैl अब इनके सामने रोजी रोटी के साथ साथ आवास की भी समस्या भी मुंह बाए खड़ी है l

उक्त बातें दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्यासी राम नंदन सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार गत मार्च से लेकर मई तक तकरीबन 27 लाख प्रवासी बिहार अपने घर पहुंचे और उन्हे अपने गृह राज्य में ही कठिन जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है l अपने घर आने के दौरान रास्ते में बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़े तथा अनेक लोगों की मौत भी हो गई l

इस अवधि में प्रवासी मजदूरों में अपने घर आने का जुनून था और चट्टान जैसी बाधाओं को पार कर भी भूखे प्यासे अपने घर आ रहे थे l अपने घर आने के जुनून का आलम यह था कि एक 16 साल की लड़की अपने बीमार पिता को साइकिल पर चढ़ा कर दिल्ली से 12 सौ किलोमीटर की दूरी तय कर दरभंगा, बिहार पहुंच गई। इसके हिमालय जैसे हौसले को देखकर देश-विदेश के लोगों ने उसकी हिम्मत की तारीफ की थी। इन मजदूरों के घर आते ही उनके सामने रोजी-रोटी और रोजगार का सवाल सामने खड़ा हो गया और रोटी के लाले पड़ने लगे।

प्रवासी मजदूरों को बिहार लौटने के साथ ही सरकार ने भरोसा दिलाया था कि उन्हें अब बाहर नहीं जाना है और उनके लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था राज्य में ही की जाएगीl पर, सरकार की घोषणा प्रवासी मजदूरों के लिए छलावा साबित हो रही है। बाहरी राज्यों से लौटे कुशल एवं अकुशल कारीगरों को काम मिलने की गति एकदम धीमी है। डी एम डी (DMD) पोर्टल पर जो आकड़ा आया है, उसमें 15,29,337 कामगारों ने अपना निबंधन कराया था।

बाहर से लौटने वाले कामगारों को 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन में रखा गया इन कामगारों के रोजगार के लिए श्रम संसाधन पोर्टल पर 1,02,884 वैकेंसी निबंधित की गई l इनमें से अब तक केवल 13588 कुशल कारीगरों को रोजगार मिल पाया है इनके अलावा 1,65,446 सरकारी मनरेगा, भवन निर्माण, पथ निर्माण आदि में मजदूर काम कर रहे हैंl बिहार में आई भीषण बाढ़ एवं जलजमाव के कारण इन मजदूरों के कामों में रुकावट आ गई है l

इसी तरह राज्य के विभिन्न जिले में स्थापित जिला काउंसलिंग सेंटर में करीब 18233 श्रमिकों ने अपना निबंधन कराया और उनमें से मात्र 2976 को ही रोजगार मिल सका है। अनेक ऐसे जिले हैं जहां जिला काँसिलिंग सेंटर बना ही नहीं। सरकार द्वारा रोजगार की लचर व्यवस्था को देखते हुए प्रवासी मजदूर पुनः दूसरे राज्यों में जाने लगे हैं।

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