*बिहार में विधानसभा चुनाव, चुनाव आयोग के लिए चुनौती*

*बिहार में विधानसभा चुनाव, चुनाव आयोग के लिए चुनौती*
आर.के राय
पटना बिहार के 243 सीटों पर आगामी नवंबर महीने में बिहार विधानसभा के चुनाव होने वाली है. दुनिया में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत को जाना जाता है, परंतु लोकतंत्र की हत्या विधानसभा चुनाव में होने की पूरी संभावना है ,यह बात देश दुनिया में चर्चित ही नहीं बल्कि शर्मनाक की संभावना है.भारत के चुनाव आयोग भी केंद्र सरकार के कठपुतली बनकर रह गई है. जिस देश में भ्रष्टाचार मानव तस्करी अपराधियों का सट्टा पर कब्जा होना लोकतंत्र के लिए खतरा है पिछले 15 वर्षों में बिहार की हालत काफी नाजुक हो गई है जहां तक विकास के नाम पर और राज्य को सर्वनाम किए जा रहे हैं. बिहार के 38 जिलों में सत्ता दल के नेताओं के बेटी बेटा दामाद और पुत्र पुत्र वधू आईएएस आईपीएस के रूप में सत्तासीन हो तो चुनाव निष्पक्ष होना या करवाना चुनाव आयोग के लिए एक चुनौती ही नहीं बल्कि चुनाव आयोग पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा देता है क्योंकि जिस देश राज्य में जाति के आधार पर राज चलता हो इस देश और राज्य की हालत की कल्पना नहीं कर सकते हैं. पूरे राज्य में भ्रष्टाचार का चरम सीमा पार कर गए हैं. कोरोना महामारी के नाम पर अरबों खरबों रुपए की खाजाना की लूट की गई है परंतु राज्य सरकार की चुप्पी भी कहीं ना कहीं इस लूट में शामिल होने की प्रतीत है. बिहार के कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से चुनाव की तिथि बदलने की या बढ़ाने की मांग की थी परंतु चुनाव आयोग ने ऐसे गंभीर प्रश्नों को अनदेखी कर चुनाव की तिथि तय करने वाली है बिहार की जनता को लोकतंत्र में भी गला घोटने की पूरी कोशिश है सत्ता दल के इशारे पर चुनाव आयोग करने की साजिश रच रही है.

 

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