28 सितंबर शहीद ए आजम भगत सिंह के जन्म दिन को बेतिया में एम एस पी को कानूनी दर्जा देने तक संघर्ष का संकल्प लिया गया।
जे टी न्यूज
बेतिया (पश्चिम चम्पारण):- कानून के अनुसार APMC मंडियों का कंट्रोल किसानों के पास होना चाहिए, लेकिन वहां भी व्यापारियों ने गिरोह बना के किसानों को लूटना शुरू कर दिया। APMC एक्ट में जहां एक तरफ कई समस्याएं हैं, जिनमें सुधार की जरूरत है, दूसरी तरफ इसका एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके तहत सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि किसानों के माल की खरीद MSP पर हो। अब नए अध्यादेश के जरिये सरकार किसानों के माल की MSP पर खरीद की अपनी ज़िम्मेदारी व जवाबदेही से पूरी तरह से पल्ला झाड़ना चाहती है।
पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे। उसको रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून जिसे 1964 में बनाया गया था। अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज़, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है। हमारे देश में 85% लघु किसान हैं। वैसे भी किसान के पास वर्तमान में आय बहुत कम है छोटा किसान हो या बड़ा किसान हो वह अपनी उपज को ज्यादा दिन तक रोकने में सक्षम नहीं है क्योंकि किसान को फसल कटाई के बाद जल्द पैसों की आवश्यकता होती है।
इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ खेती करेंगी और किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस नए अध्यादेश के तहत किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन के रह जायेगा। इस अध्यादेश के जरिये केंद्र सरकार कृषि का पश्चिमी मॉडल हमारे किसानों पर थोपना चाहती है। हमारे यहां भूमि-जनसंख्या अनुपात में पश्चिमी देशों से अलग है और हमारे यहां खेती-किसानी जीवन यापन करने का साधन है वहीं पश्चिमी देशों में यह व्यापार कहलाता है ।
इस एक्ट में यह गारंटी नहीं है कि किसान का माल कंपनी पूरा खरीदेगी और एम एस पी भी देगी। फिर इसमें सवाल यही उठता है कि किसान मेहनत से 100 केला उगाएगा और कंपनी उसके 25 केले को खराब या छोटा बताकर रिजेक्ट कर देगी तो वह किसान कहाँ बेंचेगा..?
भंडारण और कालाबाजारी का कानूनी अधिकार व्यापारी और कंपनियों को मिला है।
कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से कंपनियों को खेती करने का अधिकार और बढ़ावा मिला है किसान सिर्फ अपने खेत का मजदूर बनेगा।
किसान के लिए इन विधेयकों में कुछ भी नहीं है तो हमारी प्रधानमंत्री तथा उनके भक्तों से कहना है कि आप किसान हितेषी बताकर प्रचार प्रसार ना करें और किसान को इतना नासमझ न समझें। इन अध्यादेश में ना किसान को फसल की MSP मिलने की ग्यारंटी है ना ही पूरी फसलों के बिकने की गारंटी हैं ।
संकल्प सभा पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया में किसान सभा के जिला मंत्री चां दसी प्रसाद यादव , सीटू के जिला मंत्री शंकर कुमार राव , नीरज बरनवाल , झुना मियां , राधेश्याम प्रसाद , राजेश तिवारी , आस महमद आदि शामिल हुए ।
बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभूराज नारायण राव ने पश्चिम चम्पारण के किसानों को बधाई दी है ।।