तीन कृषि कानून के खिलाफ जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का किया गया आयोजन

 

जेटी न्यूज़।

 

दरभंगा::- तीन कृषि कानून के खिलाफ दरभंगा जिला किसान काउंसिल की ओर से जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन गुदरी स्थित किसान भवन प्रांगण में दरभंगा जिला किसान काउंसिल उपाध्यक्ष रामानुज यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। सम्मेलन शुरू होने से पूर्व देश में चल रहे किसान आंदोलन में 55 शहीद किसान साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सम्मेलन में गांव पंचायत से पूरे जिले के 155 किसान नेता शामिल हुए।

कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव कामरेड नंदकिशोर शुक्ला ने कहा कि सरकार ने जो 3 नए कृषि कानून लाई है वह किसानों और देश को आर्थिक स्थितियों को कमजोर कर पूंजीपतियों का राज्य स्थापित करने वाली कानून है। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को खत्म कर दिया और कारपोरेट खेती इस अधिनियम में शामिल है। यह कानून व्यापारी व कारपोरेट के हाथों में किसानों को दे दिया है। ठेका खेती का बढ़ावा मिलेगा, कंपनी अपने मनपसंद के खेती बीज का उपयोग करेंगे जिससे किसान तबाह और बर्बाद होगा। अतः किसान का खेत छीनने का काला कानून है। बिहार का खेती विकसित नहीं, मंडी विकसित नहीं, नहर व सिंचाई साधन नहीं है, जिसके चलते बिहार का किसान पिछड़ा है। बिहार के मजदूर खेती के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। हम सरकार से मांग करते रहे हैं कि बिहार को पंजाब, हरियाणा जैसी खेती और सिंचाई की व्यवस्था करें लेकिन यह सरकार पंजाब और हरियाणा को अब बिहार की खेती बनाने में लगी हुई है। जब तक यह तीन कृषि कानून वापस नहीं लिया जाता हैं तब तक किसानों के आंदोलन का संघर्ष जारी रहेगा। किसानों ने संकल्प लिया है कि जाने चली जाएगी मगर जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिया जाता है तब तक आंदोलन जारी रखेंगे नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘ना खाएंगे न, खाने देंगे, देश बिकने नहीं देंगे’ मगर सरकार रेल, पेट्रोल, भेल, बैंक, बीएसएनएल आदि सार्वजनिक संपत्तियों को बेच रही है।

सभा को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान काउंसिल के अध्यक्ष कामरेड ललन चौधरी ने कहा कि सरकार यह कानून ला करके दलहन, तिलहन, आलू, प्याज, लहसुन, गेहूं और चावल जैसे खाद पदार्थों में जमाखोरी को बढ़ावा दे रही है। जिसके चलते तमाम वस्तुओं की कीमत महंगाई का आसमान छूने लगेगी सरकार अनाज की खरीद व भंडार नहीं करेगा तो अनाज कहां से देंगे आने वाले दिनों में खाद्य सुरक्षा कानून को खत्म कर देगा सस्ता राशन प्रणाली बंद कर देंगे। विनाशकारी काला कानून ला कर किसानों और गरीबों को बर्बाद कर देगा, सस्ता राशन प्रणाली बंद करने का यह विनाशकारी काला कानून है। इसीलिए इस कानून का मुखालफत करते हैं और जब तक यह वापस नहीं लिए जाते तब तक हम आंदोलन जारी रखेंगे।

दरभंगा जिला किसान काउंसिल जिला सचिव श्याम भारती ने कहा कि दरभंगा जिले में लगातार हम लड़ते रहे हैं कि भूमिहीनों को जमीन दो लेकिन सरकार किसानों की जमीन छीनकर कारपोरेट घरानों को देने में लगी हुई है इसी तरह धीरे-धीरे मजदूरों गरीबों के संविधान में बने अधिकार को खत्म कर रही है श्रम कानून कृषि कानून में बदलाव कर देश की संपत्ति अधिकारों को निजी हाथों में सौंपने में लगी हुई है यह लड़ाई सिर्फ किसानों और गरीबों मजदूरों की नहीं सभी का है पूरे देश में संघर्ष चल रहा है हम सबको मिलकर किसान गरीब मजदूरों के लिए संघर्ष को तेज करना चाहिए

सम्मेलन में एकजुटता जाहिर करते हुए सीपीआईएम के जिला सचिव कामरेड अविनाश कुमार ठाकुर ने कहा कि किसानों का आंदोलन जायज है। न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार और तीनों काला कृषि बिल रद्द होना चाहिए क्योंकि खेती में लागत बढ़ गया है और किसानों को उचित उचित कीमत नहीं मिलने के कारण किसानों ने पौने दामों पर अनाज बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं इसीलिए सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल का कानूनी अधिकार देना चाहिए मगर सरकार इस से भाग रही है। सम्मेलन में प्रस्ताव कर 7 जनवरी से 20 जनवरी तक किसान जगाओ पखवारा, 18 जनवरी को किसान महिला का प्रखंड पर धरना, 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च राष्ट्रीय ध्वज के साथ करने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में प्रस्ताव कर कमला बलान तटबंध में जिन किसानों से जमीन ली गई है उन्हें अविलंब मुआवजा देने की मांग की गई और 15 दिनों के अंदर अगर भुगतान नहीं किया जाता है तो किसानों को भुगतान दिलाने के लिए आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन को दरभंगा जिला किसान कौंसिल अध्यक्ष सुधीर पासवान, उपाध्यक्ष प्रमोद सिंह, संयुक्त सचिव महेश दुबे, उमेश राय, नथुनी कुमार झा, विश्वनाथ लाल दास, रामधनी झा, खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला संयोजक दिलीप भगत, किसान नेता शिवनंदन यादव, सुबोध चौधरी, अमीर हसन, सुधीर पासवान, अनिल महाराज, सुशीला देवी आदि ने संबोधित किया।

Website Editor :- Neha Kumari

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