कितनी निष्पक्ष है सुप्रीम कोर्ट की समिति?*

*कितनी निष्पक्ष है सुप्रीम कोर्ट की समिति?*
मंगलवार यानी 12 जनवरी सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध और आन्दोलन के समाधान के लिए एक समिति की घोषणा की। इससे पहले ही 11 जनवरी की शाम को किसान संगठनों ने ऐसी किसी समिति के भरोसे समाधान पर आशंका व्यक्त कर दी। किसान सरकार की चाल को समझ रहे हैं। आइए जानें, आखिर वे कौनसी वजह हैं जिनके रहते इस समिति की निष्पक्षता पर किसान संगठनों को संदेह है-


*भूपिन्द्र सिंह मान* : भारतीय किसान यूनियन (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, 1990 से 1995 के मध्य राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के साझा नेतृत्व में जब देश के 300 से ज्यादा किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों की वापसी के लिए संघर्ष कर रहे थे (जो आज भी संघर्षरत है), उस बीच 14 दिसम्बर 2020 को इनकी अध्यक्षता वाली अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को तीनों काले कानूनों के समर्थन में पत्र सौंपा था।
*अशोक गुलाटी* : 2015 में मोदी सरकार ने इन पर मेहरबान होकर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। नई दुनिया अखबार में 13 दिसम्बर 2020 में अशोक गुलाटी का तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में कलमतोड़ लेख प्रकाशित हुआ।


*अशोक घनवट* : शेतकारी किसान संगठन, महाराष्ट्र के अध्यक्ष हैं, जो भूपिन्द्र सिंह मान के साथ कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को समर्थन पत्र देने वाले संगठनों में से एक हैं। घनवट ने शुरु से ही तीनों कृषि बिलों को किसानों को वित्तीय आजादी की तरफ पहला कदम बताया था। उनका मानना है नए कानून एपीएमसी की शक्तियों को सीमित करते हैं और ये स्वागत योग्य हैं।
*प्रमोद जोशी :* दिसंबर 2020 में प्रमोद जोशी ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस में अरविंद पढी के साथ एक लेख लिखा था जिसमें जोशी ने किसानों को समर्थन देने वालों को संबोधित करते हुए लिखा कि ‘ उनकी मांगे समर्थन के काबिल नहीं हैं।’ ये कारपोरेट के प्रबल समर्थक बताये जाते हैं। 8 नवंबर, 2017 को हैदराबाद में आयोजित एक कांफ्रेस में ‘किसानों की आय दोगुना’ करने की बात का दावा करते हुए सरकार को कारपोरेट के हक में कृषि सुधार करने की वकालत की थी। उनके ही सुझाए तमाम कृषि सुधारों का प्रतिबिंबित रुप हैं ये तीनों काले कानून।
*ऐसे में इस समिति पर* *आन्दोलन कर रहे किसान कैसे भरोसा करें?*
-*शशिकान्त*

Website editor:- Ashish Anand

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