अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र बाढ़ के द्वारा प्रेक्षा ध्यान पर बेबीनार आयोजित
संवाददाता प्रिया सिंह
बाढ़–हमारा जीवन कलेश और पीड़ा से मुक्त रहे हम स्वस्थ और सुखमय रहे रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास हो और हर स्थिति में मन सकारात्मक सोच के साथ जुड़ा रहे इसके लिए प्रेक्षाध्यान के साथ ही कुछ प्राणायाम का अभ्यास जरूरी है प्रेक्षा ध्यान ध्यान की वह श्रेष्ठ प्रक्रिया है जिसमें हम बहुत ही गहराई से अपने आप को देखने का अभ्यास करते हैं प्रेक्षा ध्यान के प्रणेता विश्व विख्यात संत आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का कहना है की प्रेक्षा ध्यान का अभ्यासी अपने आंतरिक और शारीरिक शक्तियों का भरपूर विकास कर लेता है अतः वह किसी भी तरह के शारीरिक मानसिक बीमारियों से बच सकता है राग द्वेष मुक्त जीवन जी सकता है अभी कोरोना महामारी के काल में प्रेक्षा ध्यान प्राणायाम अत्यावश्यक प्रयोग बन गया है अपनी प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाने के लिए इनका प्रयोग आसानी से सीखा और किया जा सकता है उपरोक्त विचार अनुव्रत विश्व भारती राजसमंद द्वारा संचालित अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र बाढ़ के मुख्य जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान प्रशिक्षक प्रो० साधु शरण सिंह सुमन ने योग प्रशिक्षकों के वेबीनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रेक्षा ध्यान के चारों चरण यथा कायोत्सर्ग अंतर्यात्रा दीर्घ श्वास प्रेक्षा और ज्योति केंद्र प्रेक्षा के अभ्यास का प्रायोगिक प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया कोरोना महामारी में वायरस के शिकार व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल घटने लगता है अगर वह प्राणायाम के अंतर्गत मूल भस्त्रिका का प्राणायाम करना शुरू कर दें तो संक्रमण का शिकार नहीं होगा अगर हो भी गया तो शीघ्र रोग मुक्त हो जाएगा मूल भस्त्रिका का अभ्यास एक अद्भुत प्राणायाम क्रिया है जिसे हर व्यक्ति को सीखना जरूरी है प्रो० सुमन ने मूल भस्त्रिका का अभ्यास भी प्रस्तुत किया इसमें अनेक प्रेक्षा ध्यान प्रशिक्षकों ने अपना विचार व्यक्त किया।
Edited By :- savita maurya